जयपुर.15वीं विधानसभा के 6वीं सत्र के अंतिम दिन 3 संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बीच बहुतम से पास हो गए. जिसमे राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2021 , दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2021 , राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक, 2021 ध्वनिमत से पारित हुए. इसके साथ ही सदन में यह भी स्पष्ट किया गया कि कृषक की परिभाषा में संशोधन केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर किया गया. संशोधन के बाद भी कोई परिवार कैपिटल सब्सिडी से वंचित नहीं हुआ.
राज्य विधानसभा में राजस्थान पंचायती राज (Rajasthan Panchayati Raj) (संशोधन) विधेयक, 2021 को ध्वनिमत से पारित किया गया. इस संशोधन के बाद ग्राम पंचायतों में कार्यरत 'ग्राम सेवक' के पदनाम को बदलकर अब ‘ग्राम विकास अधिकारी‘ कर दिया है. इसके साथ ही ग्राम सेविकाओं का पद पंचायती राज संस्थाओं में विद्यमान नहीं होने की स्थिति में ग्राम सेविका पद को भी हटाया जा रहा है. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि ग्राम सेविका के पद के लिए आज तक कोई अलग से भर्ती ही नहीं की गई है. इस पद के लिए महिलाओं के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू रहेगी.
संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल (Shanti Kumar Dhariwal) ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि भारत सरकार की ओर से जारी की गई किसान सम्मान योजना की गाइड लाइन के अनुसार कृषक की परिभाषा में संशोधन किया गया है. उन्होंने बताया कि संशोधन से कोई भी परिवार कैपिटल सब्सिडी से वंचित नहीं हुआ है. धारीवाल ने कहा कि संशोधन से केवल कृषक की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है. संशोधित परिभाषा में कृषक की श्रेणी में वही व्यक्ति और परिवार आएंगे जो अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं.
उन्होंने सदन में बताया कि नए प्रावधान में कृषक की परिभाषा में स्पष्टता लाना सुनिश्चित किया जाएगा ताकि जो परिवार पूरी तरह कृषि आय पर निर्भर हैं. उन्हें योजना का उच्चतम लाभ प्राप्त करने का अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि यही इस संशोधन का उद्देश्य भी है. उन्होंने बताया कि एग्रो प्रोसेसिंग, एग्रो बिजनेस, एग्रो एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी-2019 के तहत राज्य सरकार की ओर से कृषक को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. उन्होंने बताया कि कृषक की परिभाषा में नहीं आने पर भी राज्य सरकार की ओर से 25 प्रतिशत सब्सीडी दी जा रही है.
दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक