#SaveKidsFromCorona: अब मासूम बच्चों पर कहर ढाह रहा कायर कोरोना, राजस्थान में तीसरी लहर से इनकार नहीं!
समूचा देश कोरोना की दूसरी वेव से जूझ रहा है. जानकारों ने आशंका जताई है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे लेकिन राजस्थान में पिछले कुछ दिनों में ही हजारों बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं. ऐसे में राजस्थान में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच ही तीसरी लहर को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
राजस्थान में कोरोना की तीसरी लहर!
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Published : May 26, 2021, 7:32 PM IST
जयपुर. राजस्थान में हजारों बच्चे कोरोना महामारी की चपेट में आ रहे हैं. जानकार भी पहले ही आगाह कर चुके हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित होंगे., लेकिन कोविड-19 संक्रमण के मौजूदा हालात को देखकर यही लगता है कि राजस्थान में तीसरी लहर शुरू हो चुकी है.
बच्चों पर घातक कोरोना का साया
अकेले राजधानी जयपुर की बात की जाए तो बीते 2 माह में 13611 बच्चे अभी तक संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इनमें से सबसे अधिक 11 से 20 साल की उम्र के बच्चे हैं. जो सबसे अधिक संक्रमण की चपेट में आए हैं.
जोधपुर संभाग में जोधपुर, जालौर, पाली, बाड़मेर, सिरोही, जैसलमेर जिले शामिल हैं. इन जिलों में भी हालत खराब है.
जोधपुर जिले में 23 दिनों में 10 साल तक के 648 बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं. अप्रैल-मई माह में ये आंकड़ा 900 के पार जा पहुंचा है.
जालोर जिले में 18 साल से कम 23 बच्चे कोरोना संक्रमित हैं. ये सभी फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं.
पाली जिले में 1 अप्रैल से 20 मई तक 0 से 15 साल के 1158 बच्चे संक्रमित हुए हैं.
बाड़मेर जिले में अबतक 12 बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं.
सिरोही जिले में 1 मई से 23 मई तक 18 साल से कम आयु के 421 केस सामने आए.
भरतपुर संभाग का हाल
भरतपुर जिले में अप्रैल-मई महीने में 930 बच्चे संक्रमण की चपेट में आए हैं. हालांकि अबतक किसी भी बच्चे की कोरोना से मौत नहीं हुई है.
सवाईमाधोपुर जिले में वर्तमान में 8 बच्चे कोरोना पॉजीटिव हैं.
अजमेर संभाग का हाल
अजमेर जोन के संयुक्त निदेशक डॉ. इंद्रजीत सिंह के मुताबिक रोज मिलने वाले कोरोना मरीजों में 6 से 8 फीसदी बच्चे शामिल हैं. बच्चों का रिकॉर्ड स्टेट को भेजा जाता है.
टोंक जिले में फिलहाल स्थिति ठीक है. यहां किसी भी शहर, कस्बे या गांव से ज्यादा संख्या में बच्चे कोरोना की चपेट में नहीं आए हैं.
भीलवाड़ा में मई महीने में 0-12 वर्ष के बच्चों में पॉजिटिव रेट 3.34% है.
उदयपुर संभाग का हाल
उदयपुर में 63 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले हैं.
डूंगरपुर में बच्चों के 62 एक्टिव केस हैं.
चित्तौड़गढ़ में कोई भी एक्टिव केस नहीं है.
राजसमंद जिले में मई के महीने में 105 बच्चे कोरोना पॉजिटिव आए हैं.
बांसवाड़ा में मार्च से अबतक 815 बच्चे कोरोना की चपेट में आए हैं.
बीकानेर संभाग का हाल
बीकानेर जिले में 21 अप्रैल से 24 मई तक 1445 बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं.
हनुमानगढ़ जिले में 3 से 9 अप्रैल तक 74 कोरोना संक्रमित बच्चे मिले थे. 1 से 7 मई तक 304, 16 से 21 मई तक 101 और 22 से 25 तक 57 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले हैं.
चूरू जिले में 0 से 12 साल तक के 784 बच्चे कोरोना संक्रमित हैं.
बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम होता है, जिसमें तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द और पूरे शरीर में सूजन आ जाती है.
बच्चों में पेट से जुड़े डायरिया, उल्टी के लक्षण भी मिलते हैं.
इसके अलावा बड़ों की तरह निमोनिया भी होता है, लेकिन ये बहुत जल्दी बढ़कर ब्रेन और लीवर को इफेक्ट कर सकता है.
ऐसे में बच्चों के केस में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. हालांकि, तीसरी लहर से पहले जुलाई में बच्चों के लिए भी वैक्सीन आने की संभावना भी है.
डॉक्टर की सलाह, ऐसे रखें बच्चों का ध्यान
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना बहुत जरूरी है.
6 महीने तक के शिशुओं के लिए मां का दूध ही सबसे प्रभावी इम्युनिटी बूस्टर है.
6 महीने से ज्यादा उम्र के शिशुओं को भी बोतल से दूध न पिलाएं तो बेहतर होगा.
दूध में पानी न मिलाएं.
बच्चों को पौष्टिक और पचने वाला आहार दें.
बच्चों को भीड़भाड़ में ले जाने से बचें
बच्चों की सफाई का पूरा ध्यान रखें.
आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह
भरतपुर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ ललित अग्रवाल ने बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सलाह दी है.
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
बच्चों को गंदगी में नहीं खेलने दें.
सुपाच्य और पौष्टिक भोजन कराएं.
बच्चों को हल्दी वाला दूध पिलाएं.
विटामिन सी के लिए आंवला, च्यवनप्राश, आम और नींबू का सेवन कराएं.
आयुर्वेदिक औषधियां कुमार कल्याण रस, अश्वगंधा और कुमार आसव बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अच्छी मानी जा सकती हैं. डॉक्टर की सलाह से इनका सेवन किया जा सकता है. बच्चों को स्वर्ण प्राशन भी पिलाया जा सकता है. यह आयुर्वेदिक अस्पतालों में उपलब्ध है.
राजधानी जयपुर के जेके लोन अस्पताल में 3 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ 20 बेड वाला आईसीयू बनाया जा रहा है. इसके साथ ही लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट और डेडिकेटेड कोरोना वार्ड भी बनाया जा रहा है.
अलवर के शिशु अस्पताल में 70 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा रहेगी. ऑक्सीजन लाइन डालने का काम जल्द शुरू होगा. आईसीयू और वेंटिलेटर की सुविधा भी रहेगी.
अजमेर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. इंद्रजीत सिंह ने सीएचसी, उपजिला और जिला अस्पतालों में 0 से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष इंतजाम करने के निर्देश जारी किए हैं.
सीकर में कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए अलग से जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जनाना अस्पताल में व्यवस्था की जाएगी. अस्पताल में 100 सिलेंडर की क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen plant) की स्थापना की जाएगी. अस्पताल में बेड की संख्या और संसाधन बढ़ाए जाएंगे.
कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक को देखते हुए जैसलमेर भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
दौसा में भी जिला अस्पताल को अलर्ट पर रखा गया है.
नागौर में कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर आधारभूत सुविधाओं के लिए कमेटी गठित की गई है. इस कमेटी का प्रमुख काम जिले के अस्पतालों के शिशु वार्ड में बच्चों से संबंधित सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है.
धौलपुर के राजाखेड़ा में CHC की क्षमता बढ़ाकर 100 बेड होगी. बच्चों के लिए विशेष आईसीयू तैयार होगा.
बाड़मेर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों के लिए वेंटीलेटर और ICU बेड बढ़ाए गए हैं. 2 मेडिकल वार्ड को बच्चों के लिए रिजर्व रखा गया है. यानी बच्चों के लिए 2 नए कोरोना वार्ड बनाए गए हैं.
अजमेर जेएलएन मेडिकल कॉलेज में भी एक कमेटी बनाई गई है. अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है और ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं.