जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के रत्नाकर बांध के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश जवाब दो सरकार एनजीओ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में लगाए आरोपों के अलावा ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है, जिससे ऐसे किसी बांध का अस्तित्व साबित हो. ऐसे में बिना साक्ष्य इस संबंध में कोई भी दिशा-निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. जनहित याचिका में कहा गया कि अलवर की उमरैण पंचायत समिति में रत्नाकर बांध स्थित है, लेकिन प्रशासन की उपेक्षा के कारण इसके कैचमेंट एरिया में लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. जिसके चलते बांध में पानी की आवक नहीं होती है.
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वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार क्षेत्र में ऐसे किसी बांध का अस्तित्व ही नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने बांध के अस्तित्व के साक्ष्य के अभाव में जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है.
आदेश की पालना नहीं करने पर सीएमएचओ सहित अन्य को अवमानना नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ताओं की कोविड सहायक के तौर पर सेवाएं जारी नहीं रखने देने पर सवाई माधोपुर के सीएमएचओ सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सुदेश बंसल ने यह आदेश सईम खान और अन्य की अवमानना याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम ने अदालत को बताया कि सवाई माधोपुर में कोविड सहायक के तौर पर तैनात याचिकाकर्ताओं को विभाग ने सेवा से हटा दिया था. इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट ने गत 18 सितंबर को आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं की सेवा जारी रखने के निर्देश दिए थे. अवमानना याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ताओं को पुन: सेवा में नहीं रखा गया है. ऐसे में दोषी अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.