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मदरसा पैराटीचर्स में गहलोत सरकार और अल्पसंख्यक विधायकों के खिलाफ आक्रोश, कहा-मांग नहीं मानी तो विधानसभा चुनाव में होगा नुकसान

मदरसा पैराटीचर्स (Rajasthann Madrasa Para teachers) 20 साल से नियमित करने की मांग कर रहे हैं. पैराटीचर्स का गहलोत सरकार और अल्पसंख्यक विधायकों के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि ऐसा ही चलता रहा तो सरकार को विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

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मदरसा पैराटीचर्स में सरकार के खिलाफ आक्रोश

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Published : Sep 5, 2021, 3:49 PM IST

जयपुर. मदरसा पैराटीचर्स लंबे समय से नियमित करने की मांग कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी नहीं होने से पैराटीचर्स का सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. मदरसा पैराटीचर्स ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे साथ हर बार दगा किया जाता है. वर्तमान में गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने चुनावी घोषणा पत्र में नियमित करने का वादा किया लेकिन ढाई साल बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया गया.

साल 2001 से मदरसा पैराटीचर्स नियमितीकरण को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. वर्तमान गहलोत सरकार के कार्यकाल में भी मदरसा पैराटीचर्स कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें नियमित नहीं किया गया. इतना संघर्ष करने के बाद केवल इनका मानदेय 10 फीसदी बढ़ाया गया है. पिछली कांग्रेस सरकार में 2013 में मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने के लिए 6 हजार आवेदन मांगे गए थे और उन्हें मदरसा शिक्षा सहायक बनाया जाना था. उनका चयन मेरिट के आधार पर होना था लेकिन अब तक हजारों पैराटीचर्स परिणाम का इंतजार ही कर रहे हैं.

मदरसा पैराटीचर्स में सरकार के खिलाफ आक्रोश

इसके अलावा 2013 में 2500 कंप्यूटर पैराटीचर्स की भर्ती निकाली गई थी, उसके रिजल्ट का अब तक कोई अता पता नहीं है. मदरसा पैराटीचर्स का 8 हजार से 11 हजार रुपये तक का मानदेय दिया जा रहा है. उनका कहना है कि इतने कम मानदेय में घर का गुजारा भी नहीं हो पाता. कम मानदेय में उन मदरसा पैराटीचर को ज्यादा दिक्कत होती है, जो अपने गृह जिले से बाहर रहते हैं.

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वर्तमान कांग्रेस सरकार में नौ विधायक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. इन पर अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए कोई काम नहीं करने के आरोप लगते रहे हैं. यहां तक कि अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद के खिलाफ भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आक्रोश जता चुके हैं. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ (Rajasthan Urdu Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि चुनावी घोषणा पत्र में वादा करने के बावजूद भी वर्तमान सरकार ने ढाई साल बीतने के बाद भी मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित नहीं किया है. चाहे कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की, मदरसा पैराटीचर्स के साथ लगतार छलावा किया जा रहा है. अगर अल्पसंख्यक समुदाय के नौ विधायक सरकार से हट भी जाते हैं तो भी समाज को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.

मांगे नहीं मानी गई तो सीएम हाउस और विधानसभा का करेंगे घेराव

अमीन कायमखानी का कहना है कि हम सरकार से कोई चांद-तारे नहीं मांग रहे सिर्फ अपना वाजिब हक मांग रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की कि चुनाव के दौरान मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने का वादा किया गया था, उसे जल्द से जल्द पूरा करें.

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उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो हम अपने हक के लिए लड़ाई लड़ेंगे और जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री निवास और विधानसभा का भी घेराव करेंगे. अमीन कायमखानी ने कहा कि समाज के विकास के लिए काम नहीं करने के कारण अल्पसंख्यक विधायकों के खिलाफ जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है. जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

आने वाले विधानसभा चुनाव में होगा नुकसान

अमीन कायमखानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार का वोट बैंक अल्पसंख्यक समुदाय माना जाता है लेकिन इनके साथ भी धोखा किया जा रहा है. वर्तमान कांग्रेस सरकार में आम जनता की दलील नहीं सुनी जा रही. मुख्यमंत्री भी खुद ताले में बंद है और ना ही आम जनता से संवाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly elections) में कांग्रेस सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि जयपुर शहर में अल्पसंख्यक इलाके से जीते हुए कांग्रेस के विधायक भी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ठगी कर रहे हैं. इन्हें भी अगले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा.

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