जयपुर. मदरसा पैराटीचर्स लंबे समय से नियमित करने की मांग कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी नहीं होने से पैराटीचर्स का सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. मदरसा पैराटीचर्स ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे साथ हर बार दगा किया जाता है. वर्तमान में गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने चुनावी घोषणा पत्र में नियमित करने का वादा किया लेकिन ढाई साल बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया गया.
साल 2001 से मदरसा पैराटीचर्स नियमितीकरण को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. वर्तमान गहलोत सरकार के कार्यकाल में भी मदरसा पैराटीचर्स कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें नियमित नहीं किया गया. इतना संघर्ष करने के बाद केवल इनका मानदेय 10 फीसदी बढ़ाया गया है. पिछली कांग्रेस सरकार में 2013 में मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने के लिए 6 हजार आवेदन मांगे गए थे और उन्हें मदरसा शिक्षा सहायक बनाया जाना था. उनका चयन मेरिट के आधार पर होना था लेकिन अब तक हजारों पैराटीचर्स परिणाम का इंतजार ही कर रहे हैं.
इसके अलावा 2013 में 2500 कंप्यूटर पैराटीचर्स की भर्ती निकाली गई थी, उसके रिजल्ट का अब तक कोई अता पता नहीं है. मदरसा पैराटीचर्स का 8 हजार से 11 हजार रुपये तक का मानदेय दिया जा रहा है. उनका कहना है कि इतने कम मानदेय में घर का गुजारा भी नहीं हो पाता. कम मानदेय में उन मदरसा पैराटीचर को ज्यादा दिक्कत होती है, जो अपने गृह जिले से बाहर रहते हैं.
वर्तमान कांग्रेस सरकार में नौ विधायक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. इन पर अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए कोई काम नहीं करने के आरोप लगते रहे हैं. यहां तक कि अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद के खिलाफ भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आक्रोश जता चुके हैं. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ (Rajasthan Urdu Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि चुनावी घोषणा पत्र में वादा करने के बावजूद भी वर्तमान सरकार ने ढाई साल बीतने के बाद भी मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित नहीं किया है. चाहे कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की, मदरसा पैराटीचर्स के साथ लगतार छलावा किया जा रहा है. अगर अल्पसंख्यक समुदाय के नौ विधायक सरकार से हट भी जाते हैं तो भी समाज को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.