जयपुर. नगर निगम में कमिश्नर और महापौर हमेशा से दो ध्रुव रहे हैं. जिन में अनबन और खींचतान के कई प्रकरण निगम के इतिहास में दर्ज हैं. पिछले 3 बोर्ड की अगर बात करें तो ज्योति खंडेलवाल के कार्यकाल में मेयर और कमिश्नर के बीच सबसे ज्यादा विवाद देखने को मिले और इसी बोर्ड में सबसे ज्यादा कमिश्नर बदले गये.
मेयर vs कमिश्नर..खास बातचीत मेयर और कमिश्नर का विवाद
- ज्योति खंडेलवाल vs राजेश यादव
- ज्योति खंडेलवाल vs लोकनाथ सोनी
- ज्योति खंडेलवाल vs लालचंद असवाल
- अशोक लाहोटी vs रवि जैन
- विष्णु लाटा vs विजय पाल सिंह
अब सौम्या गुर्जर और यज्ञमित्र सिंह देव का मामला
ताजा प्रकरण महापौर सौम्या गुर्जर और कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह देव से जुड़ा है. जिसमें पहले नगर पालिका अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों को लेकर महापौर कमिश्नर आमने-सामने हुए. उसके बाद विद्याधर नगर में निगम की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने का मामला, अब बीवीजी कंपनी की जगह वैकल्पिक व्यवस्था करने के मामले ने जोर पकड़ा है.
सफाई कर्मियों ने हड़ताल 3 दिन के लिए स्थगित की सफाई कर्मचारियों की हड़ताल 3 दिन के लिए स्थिगत
सफाई कर्मचारियों ने 3 दिन के लिए अपनी हड़ताल के स्थगित कर दिया है. तीन दिन में प्रशासन द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में कर्मचारियों ने दोबारा हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. गौरतलब है कि कमिश्नर के साथ हुई कथित हाथापाई का असर राजधानी में भी देखने को मिला था. जहां बीवीजी कंपनी की हड़ताल के बाद, सफाई कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए थे. जिससे शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है.
हालांकि इस प्रकरण पर निगम कमिश्नर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि कल की घटना से सफाई कर्मचारी और मंत्रालयिक कर्मचारी उद्वेलित थे. हालांकि जनसाधारण की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, कर्मचारियों से अपील की है कि रविवार से नियमित कार्य किया जाए. सफाई निगम की सर्वोच्च प्राथमिकता है और यदि ये कार्य नहीं किया जाएगा तो इससे जनसाधारण प्रभावित होगा. इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल को 3 दिन के लिए स्थगित कर दिया.
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बीवीजी कंपनी की पैरवी
हालांकि काम बीवीजी कंपनी के हड़ताल पर होने से भी प्रभावित हो रहा है. इस पर कमिश्नर ने कहा की कोशिश की जा रही है कि बीवीजी कंपनी की जो समस्या है, उसका निस्तारण किया जाए. उन्होंने कंपनी की पैरवी करते हुए कहा कि कोई भी कंपनी अपने संसाधनों से काम करती है. आर्थिक रूप से जब तक उनके पास संसाधन नहीं होंगे, वो काम नहीं कर सकती. फिलहाल उन्हें 3 महीने से भुगतान नहीं किया गया. इस पर निगम प्रशासन ने अनुशंसा की थी कि उनके डीजल का खर्चा और कर्मचारियों को देने के लिए 50% भुगतान अंतरिम रूप से कर दिया जाए. ताकि वो अपना काम करें.
सिर्फ आयुक्त के कहने से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती
उच्च न्यायालय ने भी कंपनी के खिलाफ कोई भी प्रतिरोधी कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया था. ऐसे में उच्च न्यायालय का आदेश, निगम की प्रैक्टिकल समस्या का समाधान को देखते हुए ये सम्यक निर्णय हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की कमेटी द्वारा लिया गया. उन्होंने कहा कि बीवीजी 500 के करीब हूपर जयपुर में चलाती है और यदि निगम उन्हें सपोर्ट नहीं करेगा, तो कैसे काम करेगी. सिर्फ आयुक्त के कहने से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती. निगम का एक सिस्टम है, उसे फॉलो करते हुए निर्णय करना उचित होगा.
पुलिस अपना काम करेगी
वहीं बीजेपी बोर्ड का कमिश्नर पर आरोप है कि उन्होंने जिन चेयरमैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, उनमें से एक तो बैठक में मौजूद ही नहीं थे. इस पर उन्होंने कहा कि ये पुलिस के अनुसंधान का विषय है. उससे पता लग जाएगा कि बैठक में कौन मौजूद था, और कौन नहीं. क्योंकि घटनाक्रम के समय तो बहुत सारे लोग थे, तो पुलिस अपना अनुसंधान करेगी और जो भी नियमानुसार कार्रवाई है, वो करेगी.
डिफरेंस ऑफ ओपिनियन इज ऑलवेज वेलकम
इस दौरान निगम में महापौर और कमिश्नर के बीच हमेशा से चलती रहने वाली खींचतान के सवाल पर उन्होंने कहा कि डिफरेंस ऑफ ओपिनियन इज ऑलवेज वेलकम. विचारों में मतभेद है, तो बातचीत की जाए, उसे सुधारा जाएगा. निगम प्रशासन का हेड होने के नाते उनकी तरफ से कोई रुकावट नहीं है. वो हर बात पर चर्चा कर समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार रहते हैं.
मेयर और कमिश्नर के विवाद का इतिहास पुराना फिलहाल साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं...
उधर, कमिश्नर की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी के बाद पुलिस प्रशासन जांच में जुट गया है. मामले को देख रहे थानाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि एफआईआर में अजय सिंह, पारस जैन सहित अन्य नाम बताए गए हैं. जिनके बयान होंगे. उसमें जो खुलासा होगा उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. अब तक निगम कमिश्नर और एक-दो गवाह का बयान हुआ है. जिसमें बताया गया कि कमिश्नर मेयर से मीटिंग करने के बाद अन्य मीटिंग में जाने के लिए निकलने वाले थे, उस वक्त कुछ पार्षदों ने उन्हें बाहर निकलने से रोका, और उनके साथ हाथापाई धक्का-मुक्की की. फिलहाल तथ्य और जुटाए जा रहे हैं. अन्य भी बयान लिए जाएंगे, सीसीटीवी फुटेज भी देखे जा रहे हैं, उसके बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी.