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Special: छोटी चौपड़ पर फिर फूलों का खंदा सजा, लेकिन यहां नहीं लौट पहले जैसी रौनक, ये है वजह

प्रदेश की राजधानी जयपुर की छोटी चौपड़ पर एक बार फिर फूलों का खंदा सजा, लेकिन यहां पहले जैसी रौनक नहीं लौट पाई है. इसके साथ ही ना तो पहले जितने विक्रेताओं ने यहां फूल बेचने के लिए दुकान लगाई और जो विक्रेता यहां फूल-माला बेच रहे हैं, उनके पास भी माल ज्यादा नहीं है.

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लॉकडाउन में मुरझाया फूलों का कारोबार

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Published : Jun 27, 2020, 11:07 PM IST

जयपुर. लॉकडाउन में मुरझाया फूलों का कारोबार अब तक खिल नहीं पाया है. फूल विक्रेताओं को हर दिन एक से डेढ़ हजार रुपए का नुकसान हो रहा है और तकरीबन 1 से डेढ़ क्विंटल फूल फेंकने पड़ रहे हैं. मंदिरों के पट बंद होने और शादियों के डेकोरेशन में फूलों की डिमांड कम होने की वजह से फिलहाल धंधा बंद पड़ा है. पहले 3 महीने लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ी और अब अनलॉक में भी इन फूल विक्रेताओं को मार का मरहम नसीब नहीं हो पा रहा.

फूलों की रेट...

22 जून से राजधानी की छोटी चौपड़ पर एक बार फिर फूलों का खंदा सजा, लेकिन यहां पहले जैसी रौनक नहीं लौट पाई है. इसके साथ ही ना तो पहले जितने विक्रेताओं ने यहां फूल बेचने के लिए दुकान लगाई और जो विक्रेता यहां फूल-माला बेच रहे हैं, उनके पास भी माल ज्यादा नहीं है. कारण साफ है लॉकडाउन में धराशाई हुआ फूलों का बाजार लॉकडाउन के बाद भी उठ नहीं पाया है. आलम ये है कि मंडी में दाम करीब 4 गुना बढ़ गए हैं और जो माल मंगाया जाता है उसे भी खरीदार नहीं मिल रहे.

लॉकडाउन में मुरझाया फूलों का कारोबार

फूल विक्रेता सतीश सैनी की माने तो अभी मंदिर के कपाट बंद है. शादियों का सीजन होने के बावजूद भी फूलों का डेकोरेशन ना के बराबर हो रहा है. यही नहीं लोग भी फूलों में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे. रही सही कसर मौसम पूरी कर देता है. जिसके चलते फूलों की बिक्री नहीं हो पा रही है.

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वहीं फूल विक्रेता विष्णु ने बताया कि लॉकडाउन के चलते किसानों के फूल खेतों में ही खराब हो गए और जो माल मंडियों तक पहुंच रहा है वो 4 गुना दाम में है. जिसकी क्वालिटी भी कुछ खास नहीं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के 3 महीने जैसे-तैसे उधार लेकर गुजार दिए. उनका धंधा बाजार में सबसे देर से अनलॉक हुआ, लेकिन इस पर जड़ा ताला अब तक नहीं खुल पाया है.

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2008 में जयपुर के इसी छोटी चौपड़ के फूलों के कंधे में भी एक बम ब्लास्ट हुआ था. उस वक्त 8 दिन बाद स्थिति सामान्य हो गई थी. यहां फूल बेचने वाले करीब 30 दुकानदार प्रतिदिन 50 से 60 क्विंटल के फूल बेच देते थे. एक दुकानदार की 2 हजार तक की बचत हो जाती थी. लेकिन 2020 में हुए कोरोना ब्लास्ट की वजह से इन फूल विक्रेताओं के परिवार के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है.

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