जयपुर. लॉकडाउन में मुरझाया फूलों का कारोबार अब तक खिल नहीं पाया है. फूल विक्रेताओं को हर दिन एक से डेढ़ हजार रुपए का नुकसान हो रहा है और तकरीबन 1 से डेढ़ क्विंटल फूल फेंकने पड़ रहे हैं. मंदिरों के पट बंद होने और शादियों के डेकोरेशन में फूलों की डिमांड कम होने की वजह से फिलहाल धंधा बंद पड़ा है. पहले 3 महीने लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ी और अब अनलॉक में भी इन फूल विक्रेताओं को मार का मरहम नसीब नहीं हो पा रहा.
22 जून से राजधानी की छोटी चौपड़ पर एक बार फिर फूलों का खंदा सजा, लेकिन यहां पहले जैसी रौनक नहीं लौट पाई है. इसके साथ ही ना तो पहले जितने विक्रेताओं ने यहां फूल बेचने के लिए दुकान लगाई और जो विक्रेता यहां फूल-माला बेच रहे हैं, उनके पास भी माल ज्यादा नहीं है. कारण साफ है लॉकडाउन में धराशाई हुआ फूलों का बाजार लॉकडाउन के बाद भी उठ नहीं पाया है. आलम ये है कि मंडी में दाम करीब 4 गुना बढ़ गए हैं और जो माल मंगाया जाता है उसे भी खरीदार नहीं मिल रहे.
फूल विक्रेता सतीश सैनी की माने तो अभी मंदिर के कपाट बंद है. शादियों का सीजन होने के बावजूद भी फूलों का डेकोरेशन ना के बराबर हो रहा है. यही नहीं लोग भी फूलों में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे. रही सही कसर मौसम पूरी कर देता है. जिसके चलते फूलों की बिक्री नहीं हो पा रही है.