जयपुर.राजधानी जयपुर के जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित "कथा बेले" फेस्टिवल के दूसरे दिन कलाप्रेमियों के समक्ष भक्त शिरोमणि "मीरा" फिर से जीवंत हो उठी. दिल्ली के पंडित हरीश गंगानी की कोरियोग्राफी और निर्देशन में आयोजित इस रंगारंग प्रस्तुति में भजनों, गीतों और जयपुर कथक घराने की नृत्य तकनीक परण, कवित्त और चक्कर का उपयोग सबसे विशेष रहा.
अत्यंत मनमोहक तरीके से मंचित किया
इस प्रस्तुति में मीरा बाई द्वारा भगवान कृष्ण की प्रतिमा देख मोहित होने, मीरा बाई की शादी, शादी के बाद मीरा बाई के महल से बाहर निकल कृष्ण मन्दिर जाने और संत रैदास द्वारा भक्त शिरोमणि मीरा को एक तारा भेंट करने का अत्यंत रोचक तरीके से चित्रण किया गया.
रोचक तरीके से चित्रण किया
इसके अतिरिक्त मीरा बाई को मारने के लिए किए गए षडयंत्रों, विषपान, वृंदावन में गोस्वामी से मिलने और द्वारका में कृष्ण प्रतिमा में विलीन होने को अत्यंत मनमोहक तरीके से मंचित किया गया. कार्यक्रम के दौरान ""माई मैं तो सपना में परणया दीनानाथ"", ""थानै काईं-काईं कह समझावां म्हारा सांवरा गिरधारी"", ""मैं गोविंद के गुण गांवा"", ""सावरे के रंग मीरा राची"", ""होली खेलत हैं गिरधारी"", ""क्या-क्या नहीं सुना अब तो दर्शन दो"", आदि गीतों और भजनों की प्रस्तुति बेहद सुंदर रही.