जयपुर. राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमैन का पद पिछले साढ़े 3 साल से खाली पड़ा (The post of Chairman of Rajasthan Madrasa Board is lying vacant ) है. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन का पद खाली रहने से बच्चों की तालीम पर असर पड़ रहा है. कुछ दिनों पहले गहलोत सरकार ने राजनीतिक नियुक्तियां की थी. इसमें मदरसा बोर्ड सदस्यों की नियुक्तियां कर दी गई. लेकिन इसमें मदरसा बोर्ड के चेयरमैन पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई फिलहाल वहां एक प्रशासक नियुक्त किया हुआ है.
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन पद पर नियुक्ति नहीं होने से अल्पसंख्यक समुदाय में भी नाराजगी है. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो प्रदेश में 5500 मदरसा पैराटीचर्स लगे हुए हैं और करीब 3500 मदरसों में लगभग 1 लाख 80 हजार बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं. लेकिन मदरसा बोर्ड चेयरमैन नहीं होने के कारण कहीं न कहीं इन बच्चों की तालीम पर इसका असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है. गहलोत सरकार ने अपने पिछले बजट में मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए 25 करोड़ का बजट दिया था. उस बजट का भी कोई उपयोग नहीं हो पाया है और न ही मदरसे आधुनिक हुए हैं. इसके कारण मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
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बिना चेयरमैन के मदरसा बोर्ड समाज के भामाशाह को भी जागरूक नहीं कर पा रहा हैं. जिससे कि बच्चे अच्छी तालीम हासिल कर सके. बोर्ड में स्टाफ की कमी भी लंबे समय से बनी हुई है. बिना चेयरमैन के मदरसा बोर्ड शिक्षा विभाग से भी संवाद कायम नहीं कर पा रहा. जिससे कारण शिक्षा विभाग की योजनाओं का लाभ मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पूरी तरह से हासिल नहीं हो रहा. लॉक डाउन में शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों को शिक्षा देने के लिए ऑनलाइन स्माइल क्लासेज चलाई थी. लेकिन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया. क्योंकि मदरसा बोर्ड का चेयरमैन पद खाली था और मदरसा बोर्ड बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं करा पाए.
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि पिछले साढ़े 3 साल में मदरसों की तालीम काफी पिछड़ चुकी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साढ़े 3 साल में अपनी सरकार को चलाया नहीं बल्कि अपनी सरकार को बचाने में लगे रहे. राजनीतिक नियुक्तियां देने में भी उन्होंने देरी कर दी. यदि समय पर मदरसा बोर्ड को चेयरमैन मिल गया होता तो हालात काफी सुकून भरे हो सकते थे. चेयरमैन की नियुक्ति नहीं होने का खामियाजा आने वाले समय में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना होगा. बिना चेयरमैन के भारत सरकार की योजनाओं से भी मदरसे वंचित रह गए हैं. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि जल्द से जल्द सरकार किसी अच्छे व्यक्ति को मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाए, ताकि बच्चों को अच्छी तालीम हासिल हो सके.
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किसको बनाए चेयरमैन: सूत्रों के अनुसार नगर विधायक वाजिब अली का नाम मदरसा बोर्ड चेयरमैन की दावेदारी में आगे चल रहा है. लेकिन सचिन पायलट गुट के मदरसा बोर्ड सदस्य बनाए गए सऊद सईदी भी अपनी दावेदारी कर रहें हैं. ऐसे में सऊदी सहित पायलट गुट के विधायक वाजिब अली को चेयरमैन नहीं बनाना चाहते, इसलिए वाजिब अली के नाम पर मुहर नहीं लग पा रही और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन की घोषणा में देरी हो रही है. मदरसा बोर्ड में फिलहाल हसन महमूद कासमी, सलीम सोढा, सईद सउदी, मोहम्मद अतीक, लाल मोहम्मद, मोहम्मद असरार कुरेशी, हाजी रहमतुल्ला कासमी सदस्य हैं.