जयपुर. कहते हैं कि अगर अंतिम संस्कार सही तरीके से किया जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है. इसी अंतिम संस्कार के लिए जरूरी लकड़ियों का स्टॉक बीते दिनों लॉकडाउन में खत्म होने की कगार पर था और अब लकड़ी के दाम आसमान छू रहे हैं. जयपुर के सबसे बड़े चांदपोल मोक्षधाम में हर दिन 10 से 20 अंत्येष्टि होती हैं.
अंत्येष्टि में करीबन 4 से 5 टन लकड़ी लगती है और लॉकडाउन के बाद लकड़ी पहले से महंगी पड़ रही है. इन दिनों अंतिम संस्कार में 8 से 12 हजार रुपये तक खर्च हो रहे हैं. लोग अभी कोरोना की मार से जूझ रहे हैं और अंत्येष्टि में खर्च होने वाले हजारों रुपए जेब पर भारी पड़ रहे हैं. ऐसे में इसी श्मशान घाट में स्थित इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की ओर भी लोगों ने देखना तो शुरू किया, लेकिन यहां जड़े ताले से उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
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जानकारी के अनुसार 90 के दशक में यहां बिजली शवदाह गृह की शुरुआत हुई थी. लेकिन जागरूकता के अभाव में महज 10 से 20 शवों का ही यहां दाह संस्कार हुआ और फिर मशीन खराब हो गई. जयपुर के कुछ सामाजिक संगठनों ने नगर निगम प्रशासन के सामने कई बार गुहार लगाई. मेयर ज्योति खंडेलवाल से लेकर के मेयर निर्मल नहाटा का दरवाजा खटखटाया, तब जाकर 2017 में नई मशीन लगी. लेकिन निगम में मेयर बदलने के साथ ही मामला फिर खटाई में पड़ गया.