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जेडीए की सख्ती पर नींदड़ के किसानों ने बदली प्राथमिकता, मुआवजे के तौर पर 35 फीसदी विकसित भूखंड की मांग

जयपुर में मंगलवार को नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति और जेडीए उच्च स्तरीय समिति के बीच तीसरे दौर की वार्ता हुई. जिसमें किसानों ने मुआवजे में 35 फीसदी विकसित भूखंड की मांग की है.

35 फीसदी विकसित भूखंड की मांग, Demand for 35% developed plot
नींदड़ के किसानों की मांग

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Published : Jan 29, 2020, 1:49 AM IST

जयपुर. जेडीए के सख्त रुख के बाद नींदड़ के किसानों ने अपनी प्राथमिकता बदल दी है. अब किसान मुआवजे में 35 फीसदी विकसित भूखंड की मांग कर रहे हैं. जेडीए कमेटी के साथ हुई तीसरे दौर की बैठक में किसानों ने नए कानून से मुआवजा लेने को दूसरी प्राथमिकता पर रखते हुए, 25 फीसदी की बजाय 35 फीसदी विकसित भूखंड लेने और शेष भूमि पर नकद मुआवजे का प्रस्ताव दिया है.

जेडीए की नींदड़ आवासीय योजना को लेकर पहले किसान भूमि अवाप्ति कानून 2013 के तहत मुआवजे की मांग कर रहे थे. लेकिन अब किसानों ने अपनी प्राथमिकता बदलते हुए विकसित भूखंड 25 फीसदी से 35 फीसदी करने की मांग रखी है. दरअसल, मंगलवार को नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति और जेडीए उच्च स्तरीय समिति के बीच तीसरे दौर की वार्ता हुई. जिसमें किसान प्रतिनिधियों ने जेडीए कमेटी को तीन प्रस्ताव सौंपते हुए, उन पर विचार करने की अनुशंसा की.

जेडीए की सख्ती पर नींदड़ के किसानों ने बदली प्राथमिकता

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समिति संयोजक नगेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों के हितों और अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले तीन प्रस्ताव उच्च स्तरीय समिति को सौंपे गए हैं. पहले प्रस्ताव के अनुसार किसान समर्पित भूमि के बदले 25 फीसदी विकसित भूमि लेने के लिए तैयार है. लेकिन उसे विकसित भूमि का पट्टा मात्र 1 रुपए टोकन राशि के रूप में दिया जाए. किसान को समर्पित भूमि के शेष 75 फीसदी भूमि के बदले उसे 2250 रुपए प्रति वर्ग मीटर से नकद मुआवजा दिया जाए.

वहीं दूसरे प्रस्ताव के तहत यदि जेडीए प्रति वर्ग मीटर हिसाब से नकद मुआवजा नहीं दे सकता, तो 25 फीसदी की जगह 35 फीसदी विकसित भूमि दी जाए. वहीं शेष 65 फीसदी समर्पित भूमि के बदले 1650 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से नकद मुआवजा किसानों को दिया जाए. इसके अलावा नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को तीसरा प्रस्ताव के रूप में बरकरार रखा गया है.

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इससे पहले वार्ता के दौरान जेडीए कमेटी ने किसानों को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि ना तो अवाप्त की गई जमीन को वापस किया जा सकता, और ना ही दूसरा अवार्ड पारित किया जा सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि किसानों से मिले तीन प्रस्ताव का परीक्षण किया जाएगा और जो भी उचित और वैधानिक रूप से संभव होगा, उस पर आगे कार्रवाई की जाएगी.

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