जयपुर. प्रदेश में सरकारें बदलीं और उसके साथ बिजली कंपनियों के मैनेजमेंट भी बदलते गए, लेकिन साथ ही बढ़ता गया डिस्कॉम का घाटा. आज भी डिस्कॉम 85 हजार करोड़ से अधिक के घाटे से जूझ रहा है. इस पर भी सरकार की ओर से विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली सब्सिडी का डिस्कॉम को लंबे समय तक भुगतान नहीं होना भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम के घाटे को लेकर सियासत तो खूब होती है, लेकिन इसके समाधान का प्रयास केवल बयानों तक ही सीमित रहता है.
दरअसल, कृषि उपभोक्ता और लघु घरेलू जिसमें बीपीएल उपभोक्ता भी शामिल हैं, उन्हें सस्ती दर पर बिजली देने का वादा सरकार का है, लिहाजा उन्हें सस्ती दरों पर डिस्कॉम बिजली देता है और उसके एवज में सरकार अनुदान राशि का भुगतान डिस्कॉम को करती है. लेकिन, पिछले कुछ साल से डिस्कॉम को सब्सिडी की एवज में मिलने वाली राशि पूरी नहीं मिल पा रही है, जिससे डिस्कॉम का घाटा और बढ़ रहा है.
क्योंकि डिस्कॉम को सब्सिडी पर बिजली तो देनी है, लेकिन यह खर्चा वहन करने के लिए भी डिस्कॉम को ऋण लेना पड़ रहा है और उसका ब्याज और भी भारी पड़ रहा है. प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण निगम कंपनियों की बात करें तो सब्सिडी की राशि 17 हजार 296 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, जिसका भुगतान समय पर नहीं होने के कारण डिस्कॉम की स्थिति और खराब हो रही है. ऊर्जा मंत्री भी इस बात को स्वीकार करते हैं लेकिन अब समय पर भुगतान की बात भी कहते हैं.
उत्पादन निगम को ही करना है करीब 20 हजार करोड़ का भुगतान
राजस्थान डिस्कॉम को तीनों कंपनियों को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की ओर से ली गई बिजली की एवज में 20 हजार करोड़ से भी अधिक का भुगतान करना है. लंबे समय से यह भुगतान बकाया चल रहा है, जिसके चलते लगातार उत्पादन निगम पर भी भारी पड़ रहा है. डिस्कॉम की ओर से उत्पादन निगम को समय पर भुगतान नहीं होने के कारण ही प्रदेश में कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन की इकाइयों में कोयले की कमी आ गई है, क्योंकि उत्पादन निगम कोयले खरीद का समय पर भुगतान नहीं कर पाया. आलम यह है कि कालीसिंध सहित सूरतगढ़ की इकाइयों में तो उत्पादन बंद हो गया है, जिससे प्रदेश में बिजली का संकट भी एकदम से गहरा गया.