जयपुर. राजधानी में हालात बेहद खराब हैं. जरा सी राहत ये है कि रिकवरी रेट बढ़ने लगी है. लेकिन एक्टिव केस सवा लाख तक पहुंच गए हैं. लिहाजा अब ऑक्सीजन बेड और रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए बेबस और लाचार लोग यहां-वहां भटक रहे हैं.
क्या यहां ऑक्सीजन के साथ बेड उपलब्ध है ? रेमडेसिविर कहां मिलेगा ? मैं कितना भी पैसा खर्च करने के लिए तैयार हूं. आज कोरोना से पीड़ित मरीज और उनके परिजन कुछ इसी तरह के सवाल करते सुनाई देते हैं. शहर में शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा, जिसका कोई रिश्तेदार या परिचित ऑक्सीजन, रेमडेसिविर या बेड की तलाश न भटक रहा हो. ये हकीकत किसी से छुपी नहीं है.
प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्थाएं
इन आंकड़ों के इतर वर्तमान में हालात विकट हैं. प्राइवेट अस्पतालों की मानें तो सरकार, प्रशासन और अस्पताल अपना बेस्ट दे रहे हैं. बावजूद इसके स्थितियां बेहतर नहीं हो पा रही हैं. बेड, ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयों की कमी है. अस्पताल और डॉक्टर अपने पूरे प्रयास कर रहे हैं कि मरीजों को समय पर और पूरा इलाज मिल सके. लेकिन मरीजों के परिजनों के उग्र होने के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर और अस्पतालों को सुरक्षा उपलब्ध कराने की भी मांग उठाई गई है.