राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

राज्यपाल ने इन 3 बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगते हुए लौटाई पत्रावली, कहा- विस सत्र नहीं बुलाने की मंशा राजभवन की नहीं - Rajasthan politics

प्रदेश में चल रहा सियासी घमासान के बीच राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव की पत्रावली वापस लौटा दी और सरकार से तीन बिंदुओं पर वापस जवाब मांगा है. साथ ही कहा है कि विधानसभा सत्र नहीं बुलाने की मंशा राजभवन की नहीं है.

Rajasthan assembly session latest news, Rajasthan Raj Bhavan latest news
राज्यपाल ने सरकार को लौटाई पत्रावली

By

Published : Jul 27, 2020, 4:55 PM IST

जयपुर.प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति जारी है. राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव की पत्रावली वापस लौटा दी और सरकार से तीन बिंदुओं पर वापस जवाब मांगा है. लौटाई गई पत्रावली के साथ ही राज्यपाल ने यह भी साफ कर दिया कि विधानसभा सत्र नहीं बुलाए जाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है, क्योंकि राज्यपाल संवैधानिक और नियमावलियों में निहित प्रक्रिया व प्रावधान के अनुरूप ही काम करते हैं.

राज्यपाल ने सरकार को लौटाई पत्रावली

ये हैं वे 3 बिंदु जिस पर सरकार से राज्यपाल ने मांगा जवाब:

  • बिंदु संख्या-1

विधानसभा का सत्र 21 दिन का नोटिस देकर बुलाया जाता है, जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो. लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक व राजनीतिक प्रकरणों पर स्वस्थ बहस देश की शीर्ष संस्थाओं यथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय आदि की भांति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किए जा सकते हैं, ताकि सामान्य जनता को कोविड-19 के संक्रमण से बचाया जा सके.

  • बिंदु संख्या-2

यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कार्रवाई की जाती है, तब ऐसी परिस्थितियों में जबकि अध्यक्ष की ओर से स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की है. विश्वास मत प्राप्त करने की संपूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए और संपूर्ण कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कराई जाए. साथ ही विश्वास मत केवल हां या ना के बटन के माध्यम से ही किया जाए.

यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी स्थिति में विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाए. उपरोक्त कार्य माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भारत संघ बनाम हरीश चंद रावत 2016 के वॉल्यूम 16 एसएससी पृष्ठ संख्या 174 और प्रताप गौड़ा पाटिल बनाम कर्नाटक राज्य 2019 के वॉल्यूम 7 एसएससी संख्या 463 और मध्य प्रदेश राज्य के प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पारित आदेशों के अनुरूप ही किया जाए.

  • बिंदु संख्या-3

वहीं, तीसरे बिंदु में यह भी स्पष्ट करने के लिए लिखा गया है कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो सत्र के दौरान सामाजिक दूरी की पालना किस प्रकार से होगी क्या कोई ऐसी व्यवस्था है, जिसमें 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनमें संक्रमण का कोई खतरा ना हो.

यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलाने से कैसे रोका जाएगा. राज्यपाल ने इस दौरान यह भी लिखा कि जैसा कि उन्हें विदित है कि विधानसभा में 200 विधायक और 1000 से अधिक कर्मचारी अधिकारी एक साथ सामाजिक दूरी की पालना करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है, जबकि संक्रमण के प्रसार रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना करना जरूरी है.

पढ़ें-राजस्थान कांग्रेस ने राजभवन से विधानसभा सत्र की अनुमति नहीं मिलने पर राष्ट्रपति से लगाई गुहार

सरकार को भिजवाई गई पत्रावली में यह भी लिखा गया कि राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में बिना किसी विशेष आकस्मिकता के विधानसभा का सत्र आहूत कर 12 सौ से अधिक लोगों के जीवन को खतरे में कैसे डाले.

सरकार के प्रस्ताव के जवाब में गिनाई कानूनी जानकारी...

प्रदेश सरकार की ओर से 31 जुलाई को विधानसभा सत्र आहूत करने के लिए जो प्रस्ताव आया था, उसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 के अंतर्गत राज्यपाल को मंत्रिमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य बताया. साथ ही यह भी लिखा कि राज्यपाल स्वयं के विवेक से कोई निर्णय नहीं ले सकते. इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय नाबाम रबिया बमांग व फेलिक्स बनाम विधानसभा उपाध्यक्ष अरुणाचल प्रदेश 2016 का भी उल्लेख किया गया.

इसके जवाब में राज्यपाल ने जो पत्रावली भेजी उस में साफ तौर पर लिखा गया कि इस बारे में विधिक राय ली गई, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का भी अध्ययन किया जिसमें यह तथ्य सामने आया कि संविधान के अनुच्छेद 174a के अंतर्गत राज्यपाल साधारण परिस्थिति में मंत्रिमंडल की सलाह के अनुरूप ही कार्य करेंगे. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 एक की पालना हेतु भी मंत्रिमंडल की सलाह मान्य है, लेकिन यदि परिस्थितियां विशेष हो ऐसी स्थिति में राज्यपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि विधानसभा का सत्र संविधान की भावना के अनुरूप आहूत किया जाए.

पढ़ें-2008 में HC से बसपा को कुछ नहीं मिला और अब भी कुछ नहीं मिलने वाला: विधायक लाखन मीणा

विधानसभा के सभी सदस्यों की उपस्थिति हेतु उचित समय और उचित सुरक्षा व उनकी मुक्त व स्वतंत्र आवागमन और सदन की कार्रवाई में भाग लेने हेतु प्रक्रिया को अपनाया जाए. पत्रावली में राज्यपाल की ओर से यह भी जानकारी दी गई कि जिस प्रकार विभिन्न प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रिक मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है, लेकिन सत्र बुलाने का प्रस्ताव में कोई उल्लेख नहीं है.

यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्प अवधि में सत्र बुलाए जाने का आधार बन सकता है क्योंकि वर्तमान परिस्थितियां असाधारण है. इसलिए राज्य सरकार को मौजूदा तीन बिंदुओं पर परामर्श देते हुए पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details