जयपुर.प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति जारी है. राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव की पत्रावली वापस लौटा दी और सरकार से तीन बिंदुओं पर वापस जवाब मांगा है. लौटाई गई पत्रावली के साथ ही राज्यपाल ने यह भी साफ कर दिया कि विधानसभा सत्र नहीं बुलाए जाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है, क्योंकि राज्यपाल संवैधानिक और नियमावलियों में निहित प्रक्रिया व प्रावधान के अनुरूप ही काम करते हैं.
ये हैं वे 3 बिंदु जिस पर सरकार से राज्यपाल ने मांगा जवाब:
- बिंदु संख्या-1
विधानसभा का सत्र 21 दिन का नोटिस देकर बुलाया जाता है, जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो. लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक व राजनीतिक प्रकरणों पर स्वस्थ बहस देश की शीर्ष संस्थाओं यथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय आदि की भांति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किए जा सकते हैं, ताकि सामान्य जनता को कोविड-19 के संक्रमण से बचाया जा सके.
- बिंदु संख्या-2
यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कार्रवाई की जाती है, तब ऐसी परिस्थितियों में जबकि अध्यक्ष की ओर से स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की है. विश्वास मत प्राप्त करने की संपूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए और संपूर्ण कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कराई जाए. साथ ही विश्वास मत केवल हां या ना के बटन के माध्यम से ही किया जाए.
यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी स्थिति में विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाए. उपरोक्त कार्य माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भारत संघ बनाम हरीश चंद रावत 2016 के वॉल्यूम 16 एसएससी पृष्ठ संख्या 174 और प्रताप गौड़ा पाटिल बनाम कर्नाटक राज्य 2019 के वॉल्यूम 7 एसएससी संख्या 463 और मध्य प्रदेश राज्य के प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पारित आदेशों के अनुरूप ही किया जाए.
- बिंदु संख्या-3
वहीं, तीसरे बिंदु में यह भी स्पष्ट करने के लिए लिखा गया है कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो सत्र के दौरान सामाजिक दूरी की पालना किस प्रकार से होगी क्या कोई ऐसी व्यवस्था है, जिसमें 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनमें संक्रमण का कोई खतरा ना हो.
यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलाने से कैसे रोका जाएगा. राज्यपाल ने इस दौरान यह भी लिखा कि जैसा कि उन्हें विदित है कि विधानसभा में 200 विधायक और 1000 से अधिक कर्मचारी अधिकारी एक साथ सामाजिक दूरी की पालना करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है, जबकि संक्रमण के प्रसार रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना करना जरूरी है.