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नींदड़ के किसान अब सरकार के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की कर रहे मांग, बच्चों ने भी लगाई CM अंकल से गुहार - सीएम अशोक गहलोत

जयपुर के नींदड़ में चल रहे किसानों के जमीन सत्याग्रह को लेकर अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. वहीं, अब किसानों ने जेडीए कमेटी से वार्ता करने से भी मना कर दिया है. अब किसान राज्य सरकार के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता करने की मांग कर रहे है. साथ ही किसानों के बच्चों ने तख्तियों पर संदेश लिख कर सीएम अशोक गहलोत को 'अंकल' संबोधित कर गुहार लगाई है.

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किसानों ने राज्य सरकार के प्रतिनिधि मंड़ल से बात करने की मांग की

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Published : Feb 8, 2020, 11:56 PM IST

जयपुर.नींदड़ के किसानों को अपनी जमीन के लिए सत्याग्रह करते हुए 33 दिन बीत चुके हैं. लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. ऐसे में अब किसानों ने जेडीए कमेटी से वार्ता करने से भी मना करते हुए, राज्य सरकार के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता की मांग की है. वहीं, नींदड़ के प्रभावित किसान परिवारों के बच्चों ने तख्तियों पर संदेश लिख सीएम अशोक गहलोत से गुहार लगाई है.

नींदड़ के किसान अब सरकार के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की कर रहे मांग

नींदड़ के किसान अब जेडीए कमेटी से बात करने के बजाए समाधान के लिए राज्य सरकार के प्रतिनिधि मंडल के साथ वार्ता करने की मांग कर रहे हैं. यही वजह रही कि नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति जेडीए मुख्यालय पर होने वाली चौथे दौर की वार्ता में भी नहीं पहुंचे और उन्होंने मुख्य सचेतक महेश जोशी को विरोध दर्ज करवाते हुए जेडीए के साथ आगे वार्ता करने से मना कर दिया है.

वहीं, अब नींदड़ की जमीन अवाप्ति से प्रभावित किसान परिवारों के बच्चे भी आंदोलन में शामिल हुए हैं. बच्चों ने तख्तियों पर संदेश लिख सीएम को अंकल संबोधित करते हुए नींदड़ गांव आकर उनकी जमीन बचाने की गुहार लगाई है.

उधर, सरकार की तरफ से नींदड़ के किसानों और जेडीए प्रशासन के बीच मध्यस्थता का काम कर रहे मुख्य सचेतक महेश जोशी ने आश्वस्त करते हुए कहा कि नींदड़ के किसानों को जितना संभव हो सकेगा उतनी रियायत देने की कोशिश की जाएगी. लेकिन यदि कोई मांग क्षमता के परे या नियमों के परे होगी, तो उसमें दिक्कत आ सकती है. उन्होंने इस संबंध में जेडीए कमेटी से भी बात करने को कहा.

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बता दें कि नींदड़ के किसानों और जेडीए कमेटी के बीच हुई तीसरे दौर की वार्ता में किसानों ने मुआवजे में नए कानून से मुआवजा लेने को दूसरी प्राथमिकता पर रखते हुए, 25% की बजाय 35% विकसित भूखंड लेने और शेष भूमि पर नकद मुआवजे का प्रस्ताव दिया था. जिस पर सहमति नहीं बन पाई है.

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