जयपुर. कोरोना महामारी और लॉकडाउन का असर यू तो हर क्षेत्र पर देखा गया. लेकिन इसका स्वास्थ्य सुविधाओं पर इसका प्रभाव काफी ज्यादा देखने को मिला है. प्रदेश में जब लॉकडाउन लगा तो सबसे बड़ी समस्या गर्भवती महिलाओं के प्रसव को लेकर हुई. क्योंकि लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्टेशन सुविधा बंद हो चुकी थी, तो ऐसे में समय पर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही थी.
प्रदेश के सबसे बड़े जनाना अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान अस्पताल में चलने वाली ओपीडी और अस्पताल में होने वाले प्रसव की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इसके अलावा साल 2019 के मुकाबले साल 2020 में घर पर होने वाली डिलीवरी के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. आमतौर पर घर में होने वाली यह डिलीवरी क्षेत्र की दाई द्वारा करवाई जाती है.
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जयपुर का सबसे बड़ा प्रसव केंद्र जनाना अस्पताल की अधीक्षक डॉ. पुष्पा नागर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अस्पताल में होने वाली डिलीवरी की संख्या में काफी कमी देखने को मिली. जहां जनवरी माह में अस्पताल में 4 हजार से अधिक महिलाओं को भर्ती किया गया तो वहीं अप्रैल और मई माह में इस आंकड़े में बड़ी गिरावट देखने को मिली. वहीं चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भी अप्रैल और मई माह में प्रदेश के अन्य जिलों में भी संस्थागत प्रसव में कमी देखने को मिली.
सरकारी अस्पताल में डिलीवरी के आंकड़ेः
महीना | आंकड़े |
अप्रैल | 60169 |
मई | 68522 |
जून | 70633 |
सरकार से अनुबंधित प्राइवेट अस्पतालों का आंकड़ाः
महीना | आंकड़ा |
अप्रैल | 3543 |
मई | 4205 |
जून | 4184 |