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REPORT: मौका, मक्कारी और लाचारी की दलदल...आज भी 'आजादी' की आस में बेटियां

महिला सुरक्षा और सम्मान को लेकर दशकों से कदम उठाए जा रहे हैं. कई कानून बन चुके हैं, हर जिले में मानव तस्कर विरोधी यूनिट का गठन भी हुआ. लेकिन बावजूद महिला सुरक्षा आज भी कानून से लेकर सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. मानव तस्करों की चंगुल से आजाद युवतियों और बालिकाओं के पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से कागजों में कई योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये योजनाएं उनके लिए किसी भी तरह से मददगार साबित नहीं हो रही है.

Prostitution case in Rajasthan,  Human Trafficking Case in Rajasthan
वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसती बेटियां

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Published : Aug 23, 2020, 5:36 PM IST

जयपुर. किसी को काम दिलाने, तो कोई मक्कार के चंगुल में फंसकर या फिर अपनी लाचारी से जिस्मफरोशी के दलदल में जाकर लड़कियां फंस रही है. राजस्थान में मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति का गंदा धंधा लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है. मानव तस्करी को रोकने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से बाल आयोग और हर जिले में मानव तस्कर विरोधी यूनिट का गठन किया गया है. लेकिन बड़े स्तर पर तस्करी कर युवतियों और बालिकाओं को दूसरे राज्यों से राजस्थान में और राजस्थान से दूसरे राज्यों में ले जाया जा रहा है, वह चिंता का एक बड़ा विषय है.

यदि बात कार्रवाई की की जाए तो महज नाममात्र की कार्रवाई कर इतिश्री कर ली जाती है. ना तो युवतियों और बालिकाओं की तस्करी में लिप्त तस्करों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाता है और ना ही वेश्यावृत्ति के गंदे धंधे में धकेली गई युवतियों और मासूम बालिकाओं की जिंदगी को नर्क से बचाने का काम किया जाता है.

वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसती बेटियां

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युवतियों और बालिकाओं को तस्करों के चंगुल से मुक्त करवाने वाले और वेश्यावृत्ति के गंदे धंधे से बाहर निकालने वाली संस्था जन कला साहित्य मंच के सचिव कमल किशोर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि राजस्थान तस्करी के मामलों में डेस्टिनेशन और सोर्स दोनों है.

कमल किशोर ने बताया कि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में युवतियां तस्करी कर राजस्थान में लाई जाती हैं, तो वहीं राजस्थान से भी बड़ी संख्या में युवतियां तस्करी कर दूसरे राज्यों में ले जाई जाती हैं. तस्करी कर लाई गई युवतियों को घरेलू काम करने या फिर वेश्यावृत्ति के गंदे धंधे में धकेल दिया जाता है. घरेलू काम करने के लिए लाई गई युवतियों को भी शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता है.

पिछड़े हुए राज्यों से तस्करी कर राजस्थान में लाई जाती हैं युवतियां

जन कला साहित्य मंच संस्था के सचिव कमल किशोर ने बताया कि राजस्थान में भारत के पिछड़े हुए राज्यों से तस्करी कर युवतियों और बालिकाओं को लाया जाता है. सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए राज्य जैसे बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ आदि जगहों से मानव तस्कर बड़ी संख्या में बालिकाओं और युवतियों की तस्करी कर उन्हें राजस्थान में लाते हैं और फिर घरेलू कामगार या वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल देते हैं.

कमल किशोर ने बताया कि इसी तरह से राजस्थान से उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, कोटा और अन्य हिस्सों से तस्करी कर बालिकाओं व युवतियों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और कर्नाटक आदि स्थानों पर ले जाकर वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है.

मानव तस्करों का नया ट्रेंड हुआ उजागर

जन कला साहित्य मंच संस्था के सचिव कमल किशोर ने बताया कि बीते कुछ समय में मानव तस्करों का एक नया ट्रेंड सामने आया है. जिसके तहत स्पा सेंटर और ब्यूटी पार्लर की आड़ में वेश्यावृत्ति का गंदा धंधा किया जा रहा है. इसमें मानव तस्करों की ओर से 15 से 20 युवतियों के एक ग्रुप को 10 से 15 दिन के लिए एक शहर में भेजा जाता है और उनसे वेश्यावृत्ति करवाई जाती है.

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कमल किशोर का कहना है कि 15 दिन बाद उस ग्रुप को दूसरे शहर में वेश्यावृत्ति के लिए भेज दिया जाता है. ऐसा ग्रुप किसी भी एक शहर में स्थाई नहीं होता है, लेकिन उनके दलाल और ग्राहक स्थाई होते हैं. मानव तस्करों की ओर से तस्करी कर लाई गई बालिकाओं और युवतियों को इस गंदे खेल में धकेला जाता है.

मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति एक संगठित अपराध

सचिव कमल किशोर ने बताया कि राजस्थान में मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति एक संगठित अपराध है, जिसे हर तरह से संरक्षण प्राप्त है. प्रदेश में मानव तस्करी के कितने प्रकरण होते हैं, इसका कोई भी वास्तविक आंकड़ा आज तक सामने नहीं आ पाया है.

कमल किशोर ने एक अनुमान के मुताबिक बताया कि राजस्थान में प्रतिवर्ष 25 हजार युवतियों और बालिकाओं को तस्करी कर दूसरे राज्यों से लाया जाता है, तो वहीं इतनी ही संख्या में राजस्थान से तस्करी कर महिलाओं एवं बालिकाओं को दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है.

कागजों में अनेक योजनाएं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं

कमल किशोर ने बताया कि मानव तस्करों की ओर से तस्करी कर लाई गई युवतियों व बालिकाओं और वेश्यावृत्ति से मुक्त करवाई गई युवतियों व बालिकाओं के पुनर्वास के लिए सरकार की ओर से कागजों में अनेक योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ भी काम नहीं किया जा रहा है.

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किशोर ने बताया कि ऐसी बालिकाओं एवं युवतियों को सामाजिक रुप से पुनर्स्थापित करने, व्यवसायिक कौशल प्रदान करने और शिक्षा व हुनर के विकास के लिए काम करने को लेकर एक कंपलीट पैकेज की बेहद आवश्यकता है. यदि बात की जाए तो सरकार के स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही संस्थाओं की तरफ से ऐसा कोई भी पैकेज आज तक तैयार नहीं किया गया है.

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