जयपुर/अलवर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के रकबर उर्फ अकबर मॉब लिचिंग प्रकरण में आरोपी धमेन्द्र कुमार और विजय कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि सह आरोपियों को जमानत मिलने से याचिकाकर्ताओं को जमानत का अधिकार नहीं मिल जाता है.
रकबर मॉब लिचिंग में आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज याचिकाओं में कहा गया कि एफआईआर में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. रकबर की मौत घटना के चार घंटे बाद पुलिस अभिरक्षा में हुई है. इसके अलावा प्रकरण में दो अन्य आरोपी परमजीत सिंह और नरेश कुमार को पूर्व में जमानत का लाभ दिया जा चुका है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को भी जमानत पर रिहा किया जाए.
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सरकार की तरफ से विशेष रूप से तैनात सरकारी पीपी अशोक शर्मा ने बताया कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिले. इसके लिए बेहतर तरह से पक्ष रखा गया है. कोरोना के चलते बीच में सुनवाई की प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी, लेकिन फिर से न्यायालय शुरू होने के साथ ही सुनवाई की प्रक्रिया भी तेज हो गई है. लगातार न्यायालय की तरफ से इस मामले को सुना जा रहा है.
सरकारी और पीड़ित पक्ष की तरफ से वकील न्यायालय में पुरजोर तरह से इस मुद्दे को रख रहे हैं. पीड़ित पक्ष के वकील की मानें तो जल्द ही इस मामले में आरोपियों को सजा मिल सकती है. सभी साक्ष और तथ्य पीड़ित के पक्ष में है, जबकि आरोपियों के खिलाफ हैं. यह जघन्य अपराध है. न्यायालय भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए फैसला सुना सकता है.
गौरतलब है कि 20 जुलाई 2018 की देर रात अलवर की रामगढ़ पुलिस को गौ तस्करी की सूचना मिली थी. मौके पर जाने पर पुलिस को दो आरोपी और घायल अवस्था में रकबर मिला, जिसने पुलिस को बताया कि वह लाडपुरा से गाय खरीद कर हरियाणा स्थित अपने गांव ले जा रहा था. रास्ते में कुछ लोगों ने उससे मारपीट की. इस पर पुलिस उसे अस्पताल ले गई, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.