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जयपुर बम कांड: एक बार फिर चलेगा धमाकों के आरोपियों पर मुकदमा - राजस्थान हाईकोर्ट

वर्ष 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने आरोपी मोहम्मद सलमान, शाहबाज, मोहम्मद सेफ, सरवर आजमी और सेफुर्रहमान के खिलाफ संज्ञान लिया है. साथ ही अदालत ने मुकदमे की सुनवाई के लिए प्रकरण को जयपुर बम कांड मामले की विशेष अदालत में भेजा है. जहां अदालत 10 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी.

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एक बार फिर चलेगा मुकदमा

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Published : Aug 8, 2020, 8:05 PM IST

जयपुर.शहर के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने वर्ष 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में आरोपी मोहम्मद सलमान, शाहबाज, मोहम्मद सेफ, सरवर आजमी और सेफुर्रहमान के खिलाफ संज्ञान लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मुकदमे की सुनवाई के लिए प्रकरण को जयपुर बम कांड मामले की विशेष अदालत में भेजा है. जहां अदालत 10 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी.

गौरतलब है कि 13 मई 2008 को शहर में 8 स्थानों पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान चांदपोल हनुमान मंदिर के पास जिंदा बम बम मिला था. मामले में एटीएम की ओर से हर बम धमाके को लेकर अलग-अलग आरोप पत्र अदालत में पेश किया गया था.

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मामले में विशेष न्यायालय ने सालों तक मामलों में सुनवाई करते हुए गत 20 दिसंबर को शाहबाज को बरी करते हुए अन्य चारों अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी. जिंदा बम के मामले में एटीएस ने गत जून माह में पांचों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए कहा था कि जिंदा मिले बम में भी दूसरे स्थानों पर हुए बम धमाकों के समान विस्फोटक मौजूद था. फिलहाल चारों अभियुक्तों की फांसी की सजा का मामला हाइकोर्ट में विचाराधीन है.

राजस्थान हाईकोर्ट ने खाद्य सचिव, दौसा कलेक्टर और डीएसओ सहित अन्य को जारी किया नोटिस

राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा के पाचोली में पात्र होने के बावजूद दिव्यांग को उचित मूल्य की दुकान आवंटित नहीं करने पर खाद्य सचिव, दौसा कलेक्टर और डीएसओ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने यह आदेश गुलाब सिंह गुर्जर की ओर से दायर याचिका पर दिए है.

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याचिका में अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने अदालत को बताया कि विभाग ने वर्ष 2016 में दौसा के पाचोली में उचित मूल्य की दुकान आवंटित करने के लिए आवेदन मांगे थे. जिसमें याचिकाकर्ता ने बेरोजगार- दिव्यांग कोटे में आवेदन किया.

याचिका में कहा गया कि नियमानुसार आवंटन में पहली वरीयता ग्राम सेवा सहकारी समिति को दी जाती है. इसके बाद दिव्यांग, महिला और पूर्व सैनिकों को वरीयता मिलती है. मामले में स्थानीय ग्राम सेवा समिति ने उचित मूल्य की दुकान संचालन को लेकर अपनी अनिच्छा जता दी.

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ऐसे में नियमानुसार याचिकाकर्ता को दुकान का आवंटन किया जाना चाहिए था. इसके बावजूद विभाग ने समिति की अनिच्छा के आधार पर पूरी आवंटन प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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