जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शनिवार को दसवीं अनुसूची विषय पर चर्चा हो रही थी. इस चर्चा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने विचार रखे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि दलबदल पर चर्चा तो हो रही है, लेकिन जब विधानसभा में जीत कर आने वाले नेता और राजनीतिक पार्टियां ही ब्लैक मनी से दूर नहीं तो फिर ऐसी बहस का कोई फायदा नहीं होने वाला.
उन्होंने कहा कि दलबदल अगर रोकना है तो फिर सीधा नियम हो कि जो दल बदल करेगा उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी. तभी इस पर रोक लग सकती है. वहीं उन्होंने स्पीकर सीपी जोशी को यह भी कहा कि स्पीकर भी किसी न किसी दल से जुड़ा होता है. जज भी जज बनने से पहले किसी ना किसी पार्टी से जुड़ा होता है. ऐसे में उन पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं. लेकिन जब कोई किसी भी पार्टी से जुड़ा व्यक्ति पद की शपथ लेता है तो उसके बाद वह उस पद के अनुसार ही काम करता है ना कि अपने दल के अनुसार.
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दरअसल शनिवार को दल बदल कानून को लेकर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में पहले किसी पार्टी के एक तिहाई विधायक और फिर वर्तमान में दो तिहाई विधायक मिलकर दल बदल सकते है. लेकिन अब भी दल बदल की घटनाएं हर प्रदेश में हो रही है. उन्होंने कहा कि आज की चर्चा में बहस इस बात पर छिड़ी है कि स्पीकर के आदेश को न्यायालय कैसे रिव्यू कर सकता है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है वह कोई भी फैसला दे सकता है. लेकिन हमें भी यह अधिकार है कि संविधान में संशोधन कर हम न्यायालय के निर्णय को बदल सकते हैं.