जयपुर. पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के परिणामों ने ये साबित कर दिया था कि राजस्थान दूसरे राज्यों से कितना पिछड़ा हुआ है. टॉप 10 में आना तो दूर प्रदेश के निकाय अपनी पिछली रैंक पर भी पिछड़ गए थे. आलम ये है कि राजधानी जयपुर, कोटा और जोधपुर में दो-दो निगम होने का भी फायदा नहीं मिला. क्योंकि ना तो इन निगमों में सीएंडडी वेस्ट प्लांट लग पाया है, ना कचरा सेग्रीगेट होकर कलेक्ट हो रहा है. नतीजन गार्बेज फ्री सिटी के जीरो अंक मिले और फिर वही होगा. इस बार वेस्ट वाटर मैनेजमेंट की चुनौती भी साथ जुड़ गई है. अगले महीने 1 मार्च से 31 मार्च तक स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachh Survekshan 2022) होना है. फिलहाल राजस्थान पूरे देश में 12वें पायदान पर है. ऐसे में इस बार बेहतर करने के लिए सभी अर्बन लोकल बॉडीज को ताकीद किया गया है.
प्रदेश में 216 नगरीय निकाय है. इनमें से 20 नगर पालिका तो नई है जिनके पास नाम मात्र संसाधन हैं. और सामने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की चुनौतियां हैं. जिनसे निपटने के लिए अब समय भी ज्यादा नहीं बचा. सर्विस लेवल प्रोग्रेस - 3000, सेग्रीगेशन कलेक्शन - 900, सस्टेनेबल सैनिटेशन - 900, प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल - 1200 है.
सर्टिफिकेशन : स्टार सिटी रेटिंग - 1250, ओडीएफ स्टेटस - 1000, पीपल फर्स्ट (सिटीजन वॉइस) - 2250, सिटीजन फीडबैक - 600 (यूथ-200, सीनियर सिटीजन-400), सिटीजन इंगेजमेंट - 550, डायरेक्ट ऑब्जरवेशन - 350, स्वच्छता एप - 400, डिजास्टर एंड एपिडेमिक रिस्पांस प्रिपेयरनेस - 200, म्युनिसिपल रेस्पॉन्स ड्यूरिंग कोविड-19 हैं.
वहीं 150 बड़े नगरीय निकाय समीक्षा और सुधार के काम में जुट गए हैं. पब्लिक टॉयलेट को साफ रखने, ओपन कचरा डिपो खत्म करने, कचरे का सेग्रीगेशन करने, वाटर बॉडीज को अतिक्रमण मुक्त करने जैसी कई बड़ी चुनौतियों पर पार पाने में जुटे हुए हैं. इसके अलावा डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की खामियों को दूर सबसे बड़ा चैलेंज हैं. इसे लेकर स्वायत्त शासन विभाग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है और जल्द अधिकारियों की क्लास भी ली जाएगी.