जयपुर. प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता नया संदेश दे रही है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में राजे के दौरे और सक्रियता से उनके समर्थक उत्साहित हैं, लेकिन इसी सक्रियता ने विरोधी खेमे की परेशानी भी बढ़ा दी है, जिससे उसके नेता पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं.
राजे समर्थक खुश, लेकिन सक्रियता पर भी उठा रहे
वसुंधरा राजे की सक्रियता, प्रदेश भाजपा में नई हलचल पैदा कर दी है. वसुंधरा राजे की सक्रियता को भाजपा से जुड़े उनके समर्थक और विधायक पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण और लाभदायक बता रहे हैं. हाल ही में विधायक अशोक लाहोटी और फिर राजेंद्र राठौड़ का बयान इसी ओर इशारा करता है. वहीं, विधायक रूपराम और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के बयानों को तौला जाए तो पता चलता है कि वो वसुंधरा राजे की सक्रियता पर सवाल उठा रहे हैं.
रसोई अभियान के बाद जनता के बीच पहुंचीं वसुंधरा
दरअसल, राजे का बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा और मीडिया के जरिए प्रदेश सरकार पर आरोपों की बौछार इस बात का प्रमाण है कि अब राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे फिर से अपनी सियासी धार दिखाने लगी हैं. कोरोना की पहली लहर जहां वसुंधरा राजे, प्रदेश और उसकी राजनीति से पूरी तरह दूर दिखीं, वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राजे ने अपने समर्थकों के जरिए सक्रिय हो गई थीं.
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इसके लिए वसुंधरा ने जन रसोई और ऑफिस वसुंधरा राजे ट्विटर हैंडल को जरिया बनाया था. इसके जरिए कोरोना से पीड़ित परिवारों की मदद की गई. यह दोनों ही कार्य पार्टी संगठन से अलग हटकर किए गए थे और राजनीतिक विश्लेषक तो इसे पार्टी संगठन के समानांतर चलाए जा रहे सेवा कार्य भी करार दे रहे थे. तब भी ये तमाम घटनाक्रम सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना था, अब राजे जब खुद जनता के बीच पहुंची हैं तो ये भी सुर्ख़ियों में है.
आगामी मुख्यमंत्री के चेहरों में राजे भी शामिल
प्रदेश भाजपा में आगामी मुख्यमंत्री के चेहरों की लड़ाई जगजाहिर है. राजनीतिक गलियारों में होने वाली चर्चाओं में आगामी मुख्यमंत्री के चेहरों में वसुंधरा राजे का नाम भी शामिल है. ऐसे में विधानसभा चुनाव से ढाई साल पहले अगर वसुंधरा राजे की जनता के बीच राजस्थान में सक्रियता बढ़ती है तो फिर यह सक्रियता अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है.