जयपुर:राजस्थान में बीते 4 साल में 53 कैडेवर डोनेशन हो चुके हैं. कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान एक भी कैडेवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ. हालांकि जैसे ही कोविड-19 संक्रमण के मामले कम हुए तो इस दौरान SOTTO यानी स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (State Organ and Tissue Transplant Organisation) ने एक बार फिर से ऑर्गन डोनेशन का काम शुरू किया है.
ऑर्गेनाइजेशन के नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि हाल ही में जब कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुई तो ऑर्गन डोनेशन से जुड़ी सभी प्रक्रिया रोक दी गई थी. जैसे ही संक्रमण के मामले कम हुए तो एक बार फिर से ऑर्गन डोनेशन को लेकर कवायद शुरू की गई है. इस दौरान 3 ब्रेन डेड मरीजों को आईडेंटिफाई किया गया, लेकिन उनके परिजनों ने अंगदान करने से मना कर दिया.
अंधविश्वास बड़ा कारण
डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि अंगदान से जुड़ी मुहिम परवान नहीं चढ़ पा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण लोगों में अब भी अंधविश्वास कायम होना है. ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को ऑर्गन डोनेट करवाने के लिए राजी करना सबसे बड़ी चुनौती है.
कई बार परिजन कहते हैं कि "यदि हमने ब्रेन डेड मरीज के ऑर्गन डोनेट किए तो अगले जन्म में वह बिना अंगों के पैदा होगा.'' कुछ इस तरह के ही अंधविश्वास अब भी लोगों में कायम हैं. यही वजह है कि जरूरतमंद मरीजों को ऑर्गन नहीं मिल पाते.
वेटिंग की लंबी लिस्ट
राजस्थान में अंग प्राप्त करने वाले मरीजों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है. उस अनुपात में अंगदान नहीं हो रहा. डॉ. मनीष का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के चलते भी ब्रेन डेड मरीजों की संख्या में कमी आई है, क्योंकि अधिकतर ब्रेन डेड मरीज किसी सड़क दुर्घटना में घायल होकर ही अस्पताल में पहुंचते हैं.