जयपुर. अपनी अलग पहचान बनाने वाला मनुष्य कभी भी पहले प्रयास में सफल नहीं होता और उसे शिखर पर पहुंचने के लिए अनेक असफल प्रयास करने होते हैं. अंततः वह अपने हिम्मत के दम पर सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है और अपना लोहा मनवा कर रहता है. वहीं, दूसरी ओर ऐसे भी मनुष्य होते हैं जो पहले ही प्रयास में असफल होने पर खुद को हारा हुआ मान लेते हैं और आत्महत्या जैसा जघन्य कदम उठा लेते हैं. आत्महत्या का कदम उठाने वाले मनुष्य को कायरों की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन यदि बात आत्महत्या का कदम उठाने वाले व्यक्तियों के आंकड़ों की की जाए तो राजस्थान में यह आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है.
आत्महत्या, समस्या का समाधान नहीं... राजस्थान में प्रतिवर्ष आत्महत्या का कदम उठाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है, जो चिंता का एक बड़ा विषय है. यदि बात वर्ष 2015 से 2019 तक की की जाए तो राजस्थान में 20,185 लोगों ने आत्महत्या का कदम उठाया है. व्यापार में असफल रहने पर, प्रेम में असफल रहने पर और पढ़ाई में असफल रहने पर हर उम्र के व्यक्ति द्वारा आत्महत्या का कदम उठाया जा रहा है. किसी भी असफलता से दुखी होने की बजाय उस व्यक्ति को असफलता से उन गलतियों के बारे में सीखना चाहिए, जिन्हें दोबारा ना दोहरा कर सफलता को प्राप्त किया जा सके. असफल व्यक्ति जब तक अपने मन में घुट रही बातों को अपने मित्रों व परिवार के सदस्यों के साथ साझा नहीं करता है, तब तक वह काफी बेचैनी महसूस करता है और अंत में आत्महत्या का कदम उठा लेता है.
आत्महत्या, समस्या का समाधान नहीं...
एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो. यदि एक मार्ग पर चलकर सफलता हासिल नहीं हो रही है तो उसे हासिल करने के और भी अनेक मार्ग हैं. लेकिन आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. यदि किसी भी व्यक्ति को कोई समस्या है तो उसे उसके बारे में अपने मित्र या परिवार के सदस्यों से चर्चा करनी चाहिए. चर्चा करने से व्यक्ति का मन हल्का होता है और उसके साथ ही उसे दूसरों से प्राप्त विचारों से समस्या का समाधान भी मिल सकता है. किसी भी तरह की समस्या के चलते स्वयं के जीवन को ही समाप्त करने का कदम उठाना कतई उचित नहीं है.
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कोई भी समस्या स्थाई नहीं होती, उसका हल ढूंढना जरूरी...
एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि मनुष्य के जीवन में कोई भी समस्या स्थाई नहीं होती है, बस उस समस्या का हल ढूंढना जरूरी होता है. एक समय के बाद अपने आप ही समस्याओं का समाधान हो जाता है, लेकिन व्यक्ति को धैर्य रखना जरूरी है. यह जरूरी नहीं है कि व्यक्ति की जो स्थिति बनी हुई है वह हमेशा ही एक सी रहे. आवश्यकता है तो मौके को परखने की और खुद मे सुधार करने की. मनुष्य को हर समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए और उससे बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए ना कि समस्याओं से खुद को घिरा देख जीवन को समाप्त करना चाहिए.
मानसिक तनाव को कम करने के लिए अपनाएं योग और ध्यान...
एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति को योग और ध्यान का प्रयोग करते हुए मानसिक तनाव को कम करना चाहिए. आत्महत्या का कदम कमजोर व्यक्तियों द्वारा उठाया जाता है. वहीं, जो व्यक्ति खुद को मजबूत बना लेता है, वह अपनी मंजिल को पाकर रहता है ना कि अपनी जिंदगी को खत्म करता है. आत्महत्या करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. समस्या का समाधान करने के अनेक रास्ते हैं, जिस पर मनुष्य को मंथन करना चाहिए.
परिपक्वता की कमी के चलते विद्यार्थी कर रहे आत्महत्या...
एडिशनल डीसीपी क्राइम सुलेश चौधरी ने बताया कि विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या का कदम उठाने के अनेक मामले सामने आते हैं. परिपक्वता की कमी के चलते और अधिक भावुक होने के कारण विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या का कदम उठाया जाता है. परिवार के सपनों को पूरा नहीं करने के चलते या फिर पढ़ाई में असफल रहने पर विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या का कदम उठाया जाता है, जो कि बेहद गंभीर मामला है. यदि पढ़ाई के संबंध में किसी भी तरह की कोई समस्या है तो उसके बारे में विद्यार्थी को अपने मित्र से चर्चा करनी चाहिए. वहीं, यदि परिवार की तरफ से पढ़ाई को लेकर किसी भी तरह का दबाव है तो उसके बारे में विद्यार्थी को अपने परिजनों से बैठकर चर्चा करनी चाहिए. असफल होना या सपनों को पूरा नहीं करना इस तरह की समस्याएं काफी लंबी नहीं चलती हैं. पहले प्रयास में असफल होने पर दूसरा व तीसरा प्रयास करना चाहिए और हार नहीं मानने वाले व्यक्ति को सफलता हमेशा प्राप्त होती है. ऐसे में पहले ही प्रयास में असफल होने पर आत्महत्या जैसा कदम कभी भी नहीं उठाना चाहिए.
राजस्थान में आत्महत्या के मामले... ये हैं आत्महत्या का प्रमुख कारण...
वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक अखिलेश जैन का कहना है कि आत्महत्या का कदम उठाने वाले अधिकतर लोग किसी ना किसी तरह के डिप्रेशन का शिकार होते हैं या फिर उन्हें नशे की लत होती है या फिर ऐसा व्यक्ति जो किसी असाध्य बीमारी से जूझ रहा है या काफी शारीरिक कष्ट झेल रहा है. वह आत्महत्या का कदम उठाता है. ऐसे व्यक्ति जो किसी ना किसी तरह के डिप्रेशन का शिकार है, जैसे कि ब्रेकअप होने के चलते, आर्थिक क्षति के चलते या फिर कोई ऐसा तनाव जिसे झेल नहीं पा रहे. इस तरह के लोग आत्महत्या का कदम उठाने का काम करते हैं. ऐसे लोगों के व्यवहार में हुए परिवर्तन को देखकर उसके दोस्त या परिवार के सदस्य इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि अवसाद से ग्रसित व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है.
इन चीजों पर गौर कर रोकी जा सकती है आत्महत्या...
वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक अखिलेश जैन का कहना है कि आत्महत्या का कदम उठाने वाला व्यक्ति पहले से ही कुछ ऐसे संकेत देने लगता है, जिन पर गौर कर उसे आत्महत्या करने से रोका जा सकता है. यदि ऐसा कोई व्यक्ति जिसने पहले आत्महत्या का प्रयास किया हो, उस पर विशेष गौर करने की आवश्यकता है. एक बार आत्महत्या का असफल प्रयास करने वाला व्यक्ति फिर से आत्महत्या का प्रयास कर सकता है. ऐसे में उसके परिवार के सदस्यों को उस पर विशेष निगरानी रखने की आवश्यकता है. वहीं, आत्महत्या के बारे में सोचने वाला व्यक्ति अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों से दूरी बना लेता है और बातचीत करना कम कर देता है. इसके साथ ही वह बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा होने लग जाता है और उनकी बातों से भी नकारात्मकता साफ झलकने लगती है. इसके साथ ही ऐसा व्यक्ति अपनी महत्वपूर्ण और कीमती वस्तुओं को अपने मित्रों व परिवार के सदस्यों को बांटने लग जाता है. वहीं, आत्महत्या करने के तरीकों के बारे में जानकारी जुटाने लग जाता है. यह वह तमाम संकेत हैं जो आत्महत्या का कदम उठाने वाले व्यक्ति के बारे में उसके मित्रों या परिवार के सदस्यों को अलर्ट करते हैं. इन पर ध्यान देकर उस व्यक्ति को आत्महत्या का कदम उठाने से रोका जा सकता है.