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बजट के लिए मिले सामाजिक कार्यकर्ताओं के सुझाव अहम : मुख्यमंत्री

प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सामजिक कार्यकर्ताओं ने आगामी बजट को लेकर जो सुझाव दिए, वे काफी अहम हैं और उन्हें बजट में शामिल करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे. बजट सुझाव की बैठक के बाद मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता मीडिया से मुखातिब हुए. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Feb 8, 2020, 9:00 PM IST

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जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को सचिवालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में स्वयं सेवी संगठनों, सिविल सोसायटी एवं उपभोक्ता मंच के साथ बजट पूर्व संवाद के किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने हमेशा जनहित से जुड़े मुद्दों पर स्वैच्छिक संगठनों और फील्ड में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के सुझावों को तवज्जो दी है. जिनके आधार पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने समय-समय पर जनहित में कई फैसले लिए हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का फीडबैक अहम - मुख्यमंत्री

स्वैच्छिक संगठनों को सुझावों के लिए आमंत्रित करेंगे अधिकारी : CM
मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा कानून, शिक्षा का अधिकार जैसे कानूनों को तैयार करने में स्वैच्छिक संगठनों द्वारा दिए गए सुझावों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है. राज्य सरकार का प्रयास रहेगा कि विभिन्न स्वैच्छिक संगठन जिन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं उनसे जुड़े विभागों के अनुसार समूह बनाकर चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाए. जिसमें वे संबंधित विभाग का मंत्री, अधिकारी उपस्थित रहेंगे. साथ ही उन्होंने विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिव से कहा कि इन संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाएं और उनसे चर्चा कर योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में उनसे सुझाव लें.

बैठक में सभी ने सरकार के काम को सराहा : मंत्री
खाद्य मंत्री रमेश मीणा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बैठक में आए प्रतिनिधियों ने पिछले एक साल में राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों एवं कार्यक्रमों की खुलकर सराहना की. उन्होंने जन सूचना पोर्टल, सिलिकोसिस पॉलिसी, पेंशन राशि बढ़ाने, मनरेगा में श्रम नियोजन में वृद्धि, प्रदेश में ई-सिगरेट, गुटखा एवं हुक्काबार पर प्रतिबंध तथा सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने जैसे कदमों की सराहना की.

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एनजीओ के प्रतिनिधियों ने निरोगी राजस्थान अभियान को गहलोत सरकार का दूरगामी कदम बताया और कहा कि इससे प्रदेश की जनता में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पैदा होगी. संवाद के दौरान महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण, बालश्रम एवं बाल विवाह उन्मूलन, सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने, शिक्षकों में क्षमता संवर्धन, सरकारी स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने, आंगनबाड़ी केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण, गांवों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति, युवाओं के लिए गांवों में ही रोजगार सुविधाएं उपलब्ध कराने, प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने, दिव्यांगों के कल्याण सहित विभिन्न विभागों के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए.

दिव्यागों को लेकर दिए ये सुझाव
वहीं बैठक के बाद सामाजिक कार्यकर्ता हेमन्त गोयल ने कहा प्रदेश में 16000 दिव्यांग हैं, , इनसे प्रदेश में 80 लाख दिव्यांग परिवार प्रभावित हैं, उन्हें बीपीएल की सुविधा दी जाए. पंचायतीराज संस्थाओं में दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये. वहीं, एक दिव्यांग पार्षद को हर शहर में मनोनित किया जाना चाहिए. दिव्यागों को 5 लाख का मेडिकल कवर, 75 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले दिव्यांग को 1250 रुपए से अधिक मासिक भत्ता दिए जाने का सुझाव दिया.

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बेरोजगारी पर नहीं हुई ज्यादा चर्चा
कार्यकर्ता का प्रदीप मेहता ने कहा कि बैठक में बेरोजगारी पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई. लेकिन स्वास्थ्य को लेकर चर्चा हुई. जिसको लेकर कई सुझाव भी दिए गए. सुझावों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं आप से अलग से मिलकर बेरोजगारी के मुद्दों पर चर्चा करूंगा.

महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर मिले अच्छे सुझाव
पूर्व राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाडकुमारी जैन ने राजस्थान राज्य महिला नीति 2014 को 8 मार्च के दिन लागू करने का सुझाव दिया. साथ ही उन्होंने महिला सुरक्षा केंद्र का बजट बढाने की मांग भी की. इसके अलावा वीमन वर्किंग हॉस्टल फिर से शुरू करने, राज्य महिला आयोग का बजट बढ़ाने, राजस्थान विमन यूनिवर्सिटी खोलने के साथ-साथ राजस्थान में गृह सचिव से महिलाओं के साथ लगातार संवाद करने जैसे सुझाव दिए.

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