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लॉकडाउन में सार्थक हुआ 'वर्ल्ड अर्थ डे', छात्रों ने रंगों से उकेरी ग्रीन एंड क्लीन पृथ्वी - corona virus

दशकों में जो काम राज्य और केंद्र सरकारें नहीं कर पाई वो काम इस लॉकडाउन ने कर दिखाया है. कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से प्रकृति को भी फायदा हो रहा है. हालांकि इसमें कामकाज पूरी तरह ठप जरूर हुआ है, लेकिन कारखानों और वाहनों से निकलने वाला धुंआ नहीं होने के कारण प्रदूषण का स्तर और वातावरण शुद्ध हुआ है. जिसके चलते इस बार विश्व पृथ्वी दिवस सार्थक हुआ है.

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ड्राइंग के जरिए दिया ग्रीन और क्लीन पृथ्वी का संदेश

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Published : Apr 22, 2020, 4:16 PM IST

जयपुर. 22 अप्रैल को पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस समय पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है. कोरोना वायरस का प्रभाव जहां लोगों के वित्तीय और सामाजिक जीवन पर पड़ा है. वहीं इसके संक्रमण ने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है. हालांकि इस संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन से हमारी पृथ्वी को फायदा हुआ है.

ड्राइंग के जरिए दिया ग्रीन और क्लीन पृथ्वी का संदेश

लॉकडाउन में प्रदूषण कम होने की वजह से पृथ्वी के वातावरण को राहत मिली है. सुबह-शाम पक्षियों की चहचहाहट सुनाई और रात के आसमान में तारे दिखने लगे हैं. यही नहीं नदियों का पानी और हवा भी शुद्ध हुई है. प्रकृति की इसी शुद्धता को लॉकडाउन के दौरान घर बैठे छात्रों ने भी अपनी कला और रंगों के माध्यम से उकेरा. विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर जयपुर में रहने वाली सानवी ने अपनी कला के माध्यम से ग्रीन और क्लीन पृथ्वी का संदेश दिया.

लॉकडाउन के कारण जयपुर में साफ हुआ वातावरण

साथ ही कोरोना महामारी से बचने के लिए 'स्टे होम स्टे सेफ' का संदेश भी दिया और कोरोना वॉरियर्स को कोरोना के खिलाफ डटा दिखाया. वहीं कक्षा दूसरी में पढ़ने वाले छात्रा मानवी ने पृथ्वी को कोरोना महामारी से बचाने के लिए जंग लड़ रहे पुलिसकर्मी, डॉक्टर, सफाई कर्मी और मीडिया कर्मियों को कोरोना वॉरियर्स की संज्ञा देते हुए अपनी ड्राइंग में प्रदर्शित किया. साथ ही जय आदित्य ने ड्राइंग में इस समय मदर अर्थ को कोरोना वायरस से लड़ता हुआ दिखाया.

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इन बच्चों की कलाकृतियों ने ये साफ कर दिया है कि वो कोरोना वायरस को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं. साथ ही कोरोना वायरस से लड़ने वाले वॉरियर्स के प्रति कितने समर्पित हैं. यही नहीं लॉकडाउन के दौरान घर में बैठा हर एक व्यक्ति किसी वॉरियर से कम नहीं. इन्हीं वॉरियर्स की वजह से इस बार वर्ल्ड अर्थ डे सार्थक हो पाया है.

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