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पीजी प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों को चुनाव लड़ने की मंजूरी में दखल से हाईकोर्ट का इनकार - Student Union election 2022

पीजी प्रवेश परीक्षा का परिणाम नहीं आने वाले छात्र नेताओं को छात्रसंघ चुनाव लड़ने की मंजूरी देने वाले एकलपीठ के आदेश में राजस्थान हाईकोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय की तीन अपील खारिज कर दी.

Student Union election 2022, High Court dismissed appeals of RU
पीजी प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों को चुनाव लड़ने की मंजूरी में दखल से हाईकोर्ट का इनकार

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Published : Aug 22, 2022, 11:21 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के 26 अगस्त को होने वाले छात्रसंघ चुनाव में एकलपीठ के उस आदेश में दखल से इनकार कर दिया है, जिसमें अदालत ने पीजी प्रवेश परीक्षा का परिणाम नहीं आने वाले छात्र नेताओं को चुनाव लड़ने की मंजूरी दी थी. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश सोमवार को राजस्थान विश्वविद्यालय की तीन अपील खारिज करते हुए (RU appeals dismissed by High Court) दिए.

अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एक ओर विवि द्वितीय और तृतीय वर्ष के उन विद्यार्थियों को चुनाव की मंजूरी दे रही है, जिनका परिणाम नहीं आया है. वहीं पीजी की प्रवेश परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों को परिणाम नहीं आने का हवाला देकर चुनाव से रोक रही है. आखिरकार विवि छात्र किसे मान रही है. जो छात्र पहले से नियमित छात्र रहा है और प्रवेश परीक्षा दे चुका है, लेकिन परीक्षा का परिणाम नहीं आया तो क्या वह अधरझूल में रहेगा.

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अदालत ने कहा कि जब अधिकांश पाठ्यक्रमों का परिणाम नहीं आया है, तो चुनाव की घोषणा क्यों की गई. अपील में विवि की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि जो विद्यार्थी छात्रसंघ का सदस्य ही नहीं है, उसे चुनाव लड़ने की अनुमति कैसे दी जा सकती है. सिंडिकेट भी 13 अगस्त, 2022 को आदेश जारी कर उन्हें अयोग्य ठहरा चुका है. चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो चुका था, इसलिए एकलपीठ को चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए था.

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इसके अलावा प्रवेश परीक्षा में 17 हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए हैं, लेकिन सीटें सिर्फ 3400 ही हैं. ऐसे में सिर्फ प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के आधार पर ही चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इसलिए एकलपीठ का आदेश रद्द किया जाए. जवाब में प्रभावित छात्र नेताओं की ओर से कहा गया कि सिंडिकेट का आदेश ही भ्रांतिपूर्ण है और वह छात्रों के बीच भेदभाव करता है. एकलपीठ ने विवि का पक्ष सुनकर ही आदेश दिया था और छात्रों ने नामांकन पत्र भर दिए हैं. विवि ने जानबूझकर उनका परिणाम जारी नहीं किया है, ताकि प्रार्थी छात्र चुनाव नहीं लड़ सकें.

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बसों पर माम ढुलाई मामले पर सुनवाई 24 को:राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में चलने वाली निजी बसों को माल ढुलाई का लाइसेंस देने का प्रावधान करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 24 अगस्त को तय की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश मुस्कान खंडेलवाल की पीआईएल पर दिए. जनहित याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 27 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी कर निजी यात्री बसों के लिए स्कीम जारी की है.

इसके तहत यात्री बसें निर्धारित लाइसेंस लेकर माल की ढुलाई कर सकती हैं. याचिका में कहा गया कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के तहत बस बॉडी की छत पर परिवहन करना नियमों के खिलाफ है. इसके अलावा छत पर माल रखने या यात्रियों को बैठाकर बस चलाना जानलेवा साबित हो सकता है. अब तक ऐसी बसों से कई घटनाएं हो चुकी हैं. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार करोडों रुपए कमाने के लिए लोगों की जान से खेल रही है. इसलिए इस नोटिफिकेशन को वापस लिया जाए.

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