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Special : राजस्थान यूनिवर्सिटी में उठा 'भेदभाव' का सवाल...होम साइंस में लड़कों को प्रवेश क्यों नहीं ?

राजस्थान विश्वविद्यालय में लड़कों के साथ भेदभाव का यह मामला विषय में प्रवेश को लेकर है. दरअसल, विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में सिर्फ छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाता है. कुछ छात्र नेताओं ने सवाल उठाया है कि लड़कों को होम साइंस में प्रवेश क्यों नहीं मिल सकता.

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राजस्थान विवि की नियमावली में परिवर्तन की मांग

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Published : Jan 12, 2021, 10:22 PM IST

जयपुर. आम जीवन में बेटियों के साथ भेदभाव के कई मामले समय-समय पर हमारे सामने आते रहते हैं. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय में बेटों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है. दरअसल, विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में सिर्फ छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाता है. हालांकि, अब इसमें छात्रों को प्रवेश देने के लिए विभाग के भीतर और बाहर से भी आवाज उठ रही है.

राजस्थान विवि के होम साइंस डिपार्टमेंट को लेकर लड़कों की मांग

सिर्फ लड़कियों का विषय नहीं है होम साइंस

राजस्थान विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में छात्रों को किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. गृह विज्ञान विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि इस दिशा में कवायद चल रही है. उच्च स्तर पर इस बारे में फैसला होते ही छात्रों को भी प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि सामान्यतौर पर गृह विज्ञान को लड़कियों का विषय ही माना जाता रहा है. इसलिए स्कूल और कॉलेज के स्तर पर भी लड़के इस विषय में प्रवेश लेने से कतराते हैं. इस विभाग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस भ्रांति को दूर करने का भी प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए स्कूल और कॉलेज में छात्रों और छात्राओं से संपर्क भी किया जा रहा है.

राजस्थान विवि की नियमावली में परिवर्तन की मांग

नियमावली में लिखा है- सिर्फ लड़कियों को प्रवेश

राजस्थान विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर के लिए कुल 60 सीट हैं. इनमें सभी सीट पर छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाता है. छात्रों को इस विभाग में प्रवेश वर्जित सा है. यहां मानव विकास एवं परिवार, डवलपमेंट, कम्युनिकेशन एवं एक्सटेंशन और भोजन एवं पोषण विषय पर मास्टर डिग्री करवाई जाती है. इसके साथ ही टेक्सटाइल और क्लोथिंग और फैमिली रिसोर्स मैनेजमेंट विषय भी इस विभाग में पढ़ाए जाते हैं. इस विभाग में फिलहाल सभी छात्राएं ही हैं, छात्र एक भी नहीं है. विभाग के प्रवेश नियमावली में भी साफ लिखा है कि गृह विभाग की ओर से संचालित सभी स्नातकोत्तर कोर्स में सिर्फ छात्राओं को ही प्रवेश दिया जाएगा.

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यह विज्ञान आधारित विषय, लड़कों को प्रवेश दिया जाना चाहिए

प्रदेश की कुछ कृषि विश्वविद्यालयों में गृह विज्ञान विभाग में छात्राओं के साथ ही छात्रों को भी प्रवेश दिया जाता है. वे साथ-साथ ही पढ़ाई करते हैं. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में फिलहाल छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. गृह विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्योति मीणा का कहना है कि हमारे समाज में यह धारणा बनी हुई है कि यह महिलाओं का क्षेत्र है. लेकिन शिक्षा या खास तौर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में रुचि के आधार पर प्रवेश का आधार तय नहीं किया जाता. गृह विज्ञान के क्षेत्र में लड़के भी आ सकते हैं. यह विज्ञान आधारित क्षेत्र है. राजस्थान में ही कई विश्वविद्यालय और कृषि विश्वविद्यालय में इस विषय में लड़के भी पढ़ रहे हैं और साइंटिफिक फील्ड में अच्छा काम भी कर रहे हैं. इसलिए राजस्थान विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में भी लड़कों को प्रवेश मिलना चाहिए.

लड़के लड़कियों में बढ़ेगा कंपीटीशन

लड़के होम साइंस पढ़ेंगे तो कंपीटीशन बढ़ेगा

गृह विज्ञान की छात्रा समीक्षा भाटी का कहना है कि जब इस क्षेत्र में लड़के भी आएंगे तो प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. जिससे सभी को फायदा होगा. हम एक तरफ जेंडर इक्वलिटी की बात करते हैं लेकिन जब पाठ्यक्रम में प्रवेश के मामले में ही भेदभाव है तो धरातल पर समानता की बात कैसे कर सकते हैं. उन्हें इस बात का भी अफसोस है कि सामान्य तौर पर यह धरना बनी हुई है कि होम साइंस का मतलब खाना पकाना. वे बताती हैं कि कई बार लड़कों से इस तरह की बातें सुनने को मिलती हैं. इसलिए जब तक वे प्रवेश ही नहीं लेंगे या उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा. तब तक उन्हें कैसे पता चलेगा कि यह कितना अच्छा फील्ड है. इसमें कितनी विविधताएं हैं और वे काम कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं.

लड़कों के लिए एकेडमिक काउंसिल करेगी फैसला

इस मुद्दे पर राजस्थान विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मुक्ता अग्रवाल का कहना है कि आज की तारीख में विभाग में लड़कों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. लेकिन हमने इस तरफ प्रयास किया है. हमारी फैकल्टी मेंबर भी इस बारे में सोचते हैं और हमने स्टाफ काउंसिल में भी इस पर चर्चा की और इसे पास किया. लेकिन विवि की अपनी अलग प्रक्रिया है. हमारे यहां से बीओएस, एकेडमिक काउंसिल और फिर सिंडिकेट में जाता है. इस साल फरवरी में बीओएस खत्म हो गई और नई बीओएस नहीं बनी है. जब नई बीओएस बनेगी तो हम प्राथमिकता से इस मामले को रखेंगे. एकेडमिक काउंसिल और सिंडिकेट से पास होने के बाद हम गृह विज्ञान विभाग में लड़कों के लिए भी प्रवेश शुरू कर सकते है.

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उनका कहना है कि दो साल पहले हमने बीएससी होम साइंस से पास करने वाले विद्यार्थियों के लिए हैं एमएससी में प्रवेश शुरू किया था. चूंकि, बीएससी में अधिकतर लड़कियां ही होती हैं. इसलिए अभी तक लड़कियों को ही प्रवेश दिया जाता है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से जरूरी कवायद पूरी होने के बाद उम्मीद है कि अगले साल से हम लड़कों के लिए भी प्रवेश प्रक्रिया शुरू करें.

होम साइंस में लड़कों को प्रवेश क्यों नहीं

छात्र नेताओं की मांग- लड़कों को मिले प्रवेश

राजस्थान विश्वविद्यालय की संघटक महाराजा कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित शर्मा का कहना है कि होम साइंस विभाग में सिर्फ छात्राओं को प्रवेश देना लड़कों के साथ भेदभाव है. उन्होंने मांग की है कि छात्रों को भी प्रवेश मिलना चाहिए. वहीं, कॉमर्स कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजेंद्र प्रजापत का कहना है कि जब एग्रीकल्चर व अन्य विश्वविद्यालय होम साइंस में छात्र और छात्राओं दोनों को प्रवेश दे रहे हैं और दोनों साथ बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. तो राजस्थान विश्वविद्यालय में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए.

कुल मिलाकर, होम साइंस ऐसा विषय नहीं है जिसमें केवल लड़कियां ही प्रवेश लें. नाम के कारण भी कई भ्रांतियां बनी हुई हैं कई जगह पर इस विषय का नाम भी बदल दिया गया है. कई जगहों पर इस विषय का नाम फैमिली एंड कम्युनिटी साइंस (परिवार एवं सामुदायिक विज्ञान) कर दिया गया है. राजस्थान विश्वविद्यालय में यह अभी होम साइंस के नाम से ही चल रहा है. इस विषय के कई विषय ऐसे हैं. जिनमें दक्षता हासिल करने के बाद विद्यार्थी कई क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकता है. फिलहाल उम्मीद है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से इस विषय में लड़कों का प्रवेश भी शुरू कर दिया जा सकेगा.

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