जयपुर.कोरोना संक्रमण हर वर्ग से जुड़े लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. वहीं, जयपुर में गर्भवती महिलाएं भी लगातार कोरोना की चपेट में आ रही हैं. जिसके बाद संक्रमित गर्भवती के शिशु को कोरोना संक्रमण से दूर रखने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं, ये बता रहे हैं कि जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अशोक गुप्ता.
राजस्थान में कोरोना के आंकड़े1 लाख के पार हो गए हैं. अब राजधानी जयपुर में 100 से अधिक गर्भवती के कोविड-19 पॉजिटिव होने के मामले सामने आए हैं. हालांकि, कोविड-19 पॉजिटिव महिलाओं के इलाज को लेकर जयपुर के सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल को कोरोना पॉजिटिव गर्भवती के लिए डेडीकेटेड हॉस्पिटल बनाया गया है, जहां कोरोना संक्रमित गर्भवती की डिलीवरी करवाई जाती है.
प्रदेश में कोरोना का संकट तो मंडरा रहा ही है, लेकिन Corona Positve गर्भवती महिलाओं का इलाज एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि गर्भवती के कोरोना उपचार (Corona treatment of pregnant woman) के साथ ही शिशु की गर्भ में और जन्म लेने के बाद कोरोना संक्रमण से बचाने की चुनौती होती है. वहीं, नवजात पूरी तरीके से मां पर निर्भर होता है, ऐसे में क्या कुछ सावधानियां डॉक्टर बरतते हैं, इसको लेकर ईटीवी भारत ने जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक गुप्ता से बातचीत की.
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मामले को लेकर जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक गुप्ता ने बताया कि इस दौरान नवजात शिशुओं को उनकी मां से दूर रखा जाता है. जिससे नवजात में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं हो. नवजात के लिए इस दौरान अलग से सावधानी रखना जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि मां बच्चे को स्तनपान करवाए तो इसमें भी काफी सावधानी रखने की जरूरत है. यदि मुंह पर मास्क, फेस शिल्ड और दस्ताने पहनकर स्तनपान कराया जाए तो नवजात में संक्रमण फैलने का खतरा काफी कम हो जाता है.
अभी तक इस तरह का मामला नहीं...
डॉक्टर अशोक गुप्ता ने यह भी बताया कि मां के दूध के कारण नवजात के संक्रमित होने का मामला अभी तक देखने को नहीं मिला है, क्योंकि एहतियात के तौर पर नवजात को मां से दूर ही रखा जाता है. ऐसे में यदि बच्चा बीमार हो तो उसे अस्पताल में ही भर्ती किया जाता है. वहीं, बच्चा यदि स्वस्थ हो तो अन्य परिजन उसकी देखभाल करते हैं, जब तक प्रसूता पॉजिटिव से नेगेटिव नहीं हो जाती है.
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