जयपुर. हमारे जीवन को मधु से मधुर बनाने वाली मधुमक्खियों के संरक्षण के लिए हर साल 20 मई को यूनाइटेड नेशंस (UN) की ओर से विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है. विश्व मधुमक्खी दिवस का उद्देश्य पारिस्थितिक तंत्र के लिए मधुमक्खियों के महत्व को समझाना और उनके संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है.
मधुमक्खी दिवस पर लोगों को फसलों पर परागण के महत्व, मधुमक्खी पालन और इससे जुड़े उत्पाद शहद, रायल, जैली, बी-पोलन, प्रपोलिस और बी-वैक्स के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. दुनिया भर के लगभग 90 प्रतिशत जंगली फूल व पौधों की प्रजातियां, 75 प्रतिशत से अधिक खाद्य फसलें और 35 प्रतिशत वैश्विक कृषि भूमि परागण पर निर्भर हैं. राजधानी जयपुर की बात की जाए तो वन विभाग की ओर से जंगलों में मधुमक्खियों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जंगल में पेड़ पौधे और अन्य वनस्पति बढ़ाई जा रही हैं ताकि मधुमक्खियों के छत्ते भी बढ़ सकें. मधुमक्खियां जंगलों में ऊंचे पेड़ पौधों पर ही छत्ते बना रही हैं.
मधुमक्खियों की तादाद हो रही कमःमौजूदा दौर में खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग मधुमक्खियों के हैबिटेट को बहुत तेजी से खत्म करते जा रहे हैं. मधुमक्खियों को छत्ता बनाने के लिए न तो ऊंचे पेड़ मिलते हैं और न ही शहद चूसने के लिए ऐसे बागान जहां फूलों की भरमार हो. ऐसे में मधुमक्खियों की तादाद बहुत कम हो चुकी है. कई बार पर्यावरण प्रेमी चिंता जता चुके हैं कि मधुमक्खियों को नहीं बचाया गया तो आने वाले वक्त में लोगों को बहुत बड़ा खतरा (The decline in the number of bees) उठाना पड़ सकता है.
क्यों मनाया जाता है मधुमक्खी दिवसः हर साल 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है. मधुमक्खी दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मधुमक्खियों और अन्य परागणको के महत्व, योगदान और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. दुनिया के खाद्य उत्पादन का लगभग 33 प्रतिशत मधुमक्खियों पर निर्भर (The decline in the number of bees) करता है. मधुमक्खियां जैव विविधता के संरक्षण, प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन और प्रदूषण को कम करने में भी सहायक हैं. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने दिसंबर 2017 में स्लोवेनिया के 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में मनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी (World Bee Day is celebrated on 20 May) थी. पहला विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई 2018 को मनाया गया था.
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तो मानव जाति पर हो जाएगा खतराः जानकारों की मानें तो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने कहा था कि यदि मधुमक्खियां पृथ्वी से गायब हो जाएं तो 10 साल में मानव जाति का अस्तित्व इस दुनिया से खत्म हो जाएगा. यह चिंता का विषय है कि मानवीय गतिविधियां, पेड़ पौधों पर कीटनाशकों का छिड़काव, बढ़ता प्रदूषण, औद्योगिकीकरण के दुष्प्रभाव के कारण दुनिया भर में मधुमक्खियों की संख्या में भारी कमी आ (The decline in the number of bees) रही है. ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में जीवन को लेकर हमें बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
जैव विविधता के संरक्षण और प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलनःविशेषज्ञों के अनुसार हमारा जीवन परागणकों पर निर्भर है. इसलिए उसकी ओर अधिक ध्यान देना और जैव विविधता के लिए नुकसान को रोकना आवश्यक है. मधुमक्खियां जैव विविधता के संरक्षण प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन और प्रदूषण को कम करने में बेहद उपयोगी भूमिका निभाती है.
जयपुर में पहले के मुकाबले कम होते जा रहे मधुमक्खियों के छत्तेः जयपुर में तेजी से मधुमक्खियों के छत्ते में कमी आई है. जयपुर में बदलते दौर के साथ अब न ऐसे विशालकाय पेड़ पहले की तरह देखने को मिलते हैं, जिन पर मधुमक्खियों के छत्ते देखे जाते थे. मधुमक्खियों के छत्ते की संख्या भी काफी तेजी से कम हुई है. साल 2016 में जयपुर में किए गए एक सर्वे में बताया गया था कि पहले के मुकाबले बहुत कम मधुमक्खियों के छत्ते बचे हैं. वह भी उन इलाकों में ज्यादा है, जहां जंगल या फिर बड़े पब्लिक पार्क या हरियाली है.
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धरती पर मधुमक्खियों की 20 प्रजातियांः खेती में पेस्ट कंट्रोल का उपयोग मधुमक्खियों के लिए घातक साबित हो रहा है. मधुमक्खियां 1 ग्राम शहद के लिए 195 किलोमीटर का सफर करती हैं. धरती पर मधुमक्खियों की 20 प्रजातियां हैं, उनमें से केवल मधुमक्खियों की 5 प्रजाति ही शहद बनाती हैं. मधुमक्खियों के छत्ते में 50,000 तक मधुमक्खियां हो सकती हैं. मधुमक्खियों के छत्ते में एक रानी, सैकड़ों नर और हजारों मादा वर्कर मधुमक्खियां होती हैं. मधुमक्खियों में रानी की उम्र सबसे ज्यादा होती है, जो एक दिन में 2000 से 2500 तक अंडे दे सकती है. मधुमक्खियों के उड़ने की अधिकतम रफ्तार 25 किलोमीटर होती है. यह एक सेकंड में 200 बार पंख फड़फड़ाती हैं.
500 ग्राम शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को 90,000 मील यानी धरती के तीन बार चक्कर लगाने के बराबर उड़ना पड़ता है. शहद एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें जीवन को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं. शहद का रंग जितना गहरा होगा, उसमें एंटीऑक्सीडेंट गुणों की मात्रा उतनी ही अधिक होगी. इतिहास में इंसानों की ओर से मधुमक्खी के पालन का काम पिछले 4500 सालों से किया जा रहा है.