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प्राकृतिक पद्धति हौसले से जीती कैंसर की जंग, देखने वाले भी दंग!

इंसान बीमारी से एक बार, लेकिन इसके खौफ से हर रोज मरता है. कैंसर भी ऐसी ही बीमारी है, जिसका खौफ आदमी को निचोड़ देता है. उसे लगता है कि जिंदगी खत्म हो गई , अब इसके बाद जीवन में कुछ नहीं बचा है. लेकिन यह सच नहीं है. अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आप को मिलाएंगे ऐसी एक महिला से जिसने प्रकृति की गोद से निकलने वाली पद्धति से कैंसर जैसी जटिल बीमारी को ठीक कर दिया. देखिये अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

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हौसले से जीती श्रुति कैंसर की जंग

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Published : Mar 6, 2020, 12:43 AM IST

जयपुर. कहते हैं कि एक महिला अगर कुछ भी ठान ले तो उसे करके ही दम लेती है. कुछ ऐसी ही कहानी है श्रुति सेठी की. जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी से लड़कर जीत हासिल की. मूलतः उज्जैन की रहने वाली श्रुति सेठी अपने करियर के प्रारम्भिक दौर में फैशन डिजाइनर थी, अपने फैशन के हुनर से मायानगरी मुंबई में बहुत कम उम्र में श्रुति ने एक पहचान बनाई, लेकिन जब श्रुति का करियर सफलता की और तेजी से बढ़ ही रहा था तब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है.

हौसले से जीती श्रुति कैंसर की जंग

श्रुति सेठी ने बताया कि कैंसर का पता चलने से जिंदगी मानो थम सी गई. बात 2016 की है जब वह पारिवारिक कलह से गुजर ही रही थी. उसी समय अचानक उसे पता लगा की उसे कैंसर है और वो भी सैकेंड स्टेज पर. श्रुति कुछ समझ पाती और सम्भलती उससे पहले कैंसर थर्ड स्टेज पर पहुंच गया था. एक पल के लिए मानों श्रुति को लगा अब जीवन यहीं खत्म हो गया. लेकिन श्रुति ने हौसला नहीं खोया.

श्रुति बताती हैं कि डॉक्टर की सलाह के साथ प्राकृतिक पद्धति के बारे में जानकारी जुटाई , और तीन चार बार कीमोथेरेपी के बाद उसने प्राकृतिक पद्धति से कैंसर का इलाज करने की ठानी. श्रुति ने योगा और डाइट के जरिये कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से अपने आप को ठीक किया. श्रुति ने पहले उन योग आसनों के बारे में जानकरी जुटाई जिससे कैंसर ठीक होने में मदद मिलती है. उसके बाद फिर उसने खान-पान पर ध्यान दिया. उसने ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का सेवन शुरू किया. देखते ही देखते श्रुति ने अपने आप को प्राकृतिक पद्धति से ठीक कर लिया. जिसे देख डॉक्टर भी दंग रह गये.

बदल दिया अपने जीवन का लक्ष्य

प्राकृतिक पद्धति से अपने आप को ठीक करने के बाद श्रुति ने जीवन के उस सच को जाना. जिससे उसके जीवन को जीने का नजरिया भी बदल गया. श्रुति ने अपने ग्लेमर के कॅरियर को पीछे छोड़ नेचर के साथ जुड़ गई. श्रतु अब उन कैंसर पीड़ितों के लिए काम कर रही हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. श्रुति बताती हैं कि कैंसर से ठीक होने के बाद उसे एक नया जीवन मिला है , जिस नेचर ने उसे कैंसर से लड़ने और जितने की ताकत दी, उसे वो लोगों के बीच में लेकर जाना चाहती है. यही वजह है कि अब वो जगहृ-जगह जा कर कैंसर पीड़ित लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करती हैं. उन्हें डॉक्टर के उपचार के साथ किस तरह से प्राकृतिक पद्धति से भी कैंसर को ठीक किया जा सकता है, उसके बारे में जागरूक कर रही हैं.

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अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर श्रुति उनके लिए उदाहरण हैं जो मुसीबत से हार मान जाते हैं. कैंसर से जंग जीत श्रुति ने ना सिर्फ यह साबित किया कि अगर अपने आप पर भरोसा हो और होंसलों के साथ किसी भी बड़ी मुसीबत से लड़ा जाये तो हार नहीं होती , बल्कि उसने यह भी साबित कर दिया कि साइंस कितना ही आगे निकल जाये किन्तु आज भी हमारी प्रकृति के पास हर बीमारी का इलाज है. बस शर्त यह है कि उसका सही से समय पर सही तरीके से उपयोग किया जाये.

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