जयुपर.प्रदेश में विधानसभा, लोकसभा या फिर कोई भी इलेक्शन हो होमगार्डस अपनी दायित्व जिम्मेदारी पूर्वक निभाते हैं. यहां तक कि आमजन की सुरक्षा और फिर ट्रैफिक व्यवस्था का भी जिम्मा इनके हवाले वाला होता है. इसके बावजूद होमगार्ड को रोस्टर प्रणाली के माध्यम से ड्यूटी दी जाती है. प्रदेश में होमगार्ड हो की संख्या ज्यादा और ड्यूटी कम है. ऐसे में एक होमगार्ड को साल भर में 3 माह का काम ही मिल पाता है. इससे वे अपने काम को स्थाई तौर पर भी नहीं कर पाते हैं और परिवार के पालन-पोषण में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
बता दें कि 6 दिसंबर को होने वाले राजस्थान होमगार्ड के 57वें स्थापना दिवस पर की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. इसमें पहली बार कोई मुख्यमंत्री राजस्थान होमगार्ड के स्थापना दिवस में शिरकत करेंगे. एक ओर जहां होमगार्ड के जवान मुख्यमंत्री को सलामी देंगे, वहीं दूसरी ओर राजस्थान होमगार्ड कर्मचारी संगठन द्वारा कई बार मुख्यमंत्री को होमगार्ड धारा अधिनियम 1962-63 में संशोधन कर होमगार्ड का नियमितीकरण करते हुए 12 माह रोजगार देने की अपील की जा चुकी है. लेकिन अब तक होमगार्ड्स की मांग पर मुख्यमंत्री ने सुनवाई नहीं की है.
कछु ऐसा है होमगार्डस का इतिहास...
गृह रक्षा संगठन की स्थापना एक स्वेच्छिक फोर्स के रूप में सर्वप्रथम 6 दिसंबर 1946 में हुई थी. उसके बाद साल 1962 में चीनी आक्रमण के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों को अपने-अपने स्वयं सेवी संगठनों को होमगार्ड्स के नाम से स्थापित करने के निर्देश दिए गये. जो कि संकल्प और चरित्र में स्वयंसेवी हों. इसी लिए पूरे भारत में प्रत्येक वर्ष 6 दिसंबर को गृह रक्षा स्थापना दिवस मनाया जाता है.
राजस्थान में होमगार्ड संगठन की स्थापना साल 1962 में राजस्थान होमगार्ड्स अध्यादेश 1962 एवं राजस्थान होमगार्ड नियम 1962 द्वारा की गई. यह संगठन राजस्थान में 57 साल पूर्ण कर चुका है. संगठन में वर्तमान में 30 हजार 714 शहरी, ग्रामीण और बॉर्डर होमगार्ड के स्वयं सेवकों का विशाल बल हैं, जिनके साथ हजारों परिवार जुड़े हुए हैं.
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