जयपुर.प्रदेश में शिक्षा विभाग की ओर से बीते दिनों जारी किए गए आदेशों और कुछ समय से लगातार अपनाई जा रही नीतियों के कारण प्रारंभिक शिक्षा का माध्यमिक शिक्षा में एकीकरण करने की संभावना एक बार फिर जोर पकड़ती जा रही है.
एक तरफ प्रारंभिक शिक्षा निदेशक का पद करीब डेढ़ साल से रिक्त चल रहा है. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक का पद का कार्यभार भी माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पास है. वहीं पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने शहरी संकुल अधिकारी को प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों के आकस्मिक अवकाश और कार्य मूल्यांकन के अधिकार दे दिए हैं. इसके बाद से यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को मर्ज करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
हालांकि, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इससे इनकार किया है. लेकिन शिक्षक संघों के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार दोनों निदेशालयों के एकीकरण के साथ ही शिक्षा के निजीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रही है.
शहरी इलाकों में होंगे शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी
दरअसल ग्राम पंचायतों की तर्ज पर अब शहरी इलाकों में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए अब शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था शुरू की है. अब शहरी इलाकों में शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी बनाए गए हैं. जो अपने परिक्षेत्र के प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों के वेतन आहरण-वितरण और संस्थापन का काम देखेंगे. इसी महीने से शुरू हुई इस व्यवस्था को प्रारंभिक शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा विभाग में मर्ज करने की दिशा में बढ़ाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है.
केंद्र सरकार ने भी सर्व शिक्षा अभियान और माध्यमिक शिक्षा अभियान को मर्ज करके समग्र शिक्षा अभियान चलाया था. इसके बाद से ही प्रदेश में भी कयास लगाए जा रहे थे कि यहां भी प्रारंभिक शिक्षा को माध्यमिक शिक्षा में मर्ज किया जा सकता है. अब पीईईओ के बाद शहरों में भी शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी बनाए जाने से इस संभावना को बल मिला है.
शिक्षा मंत्री ने कहा- ऐसी कोई योजना नहीं
फिलहाल शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. लेकिन शिक्षक संगठनों का मानना है कि जिस तरह से धीरे-धीरे प्रारंभिक शिक्षा को माध्यमिक शिक्षा के अधिकारियों के हवाले किया जा रहा है. इससे लगता है कि सरकार आगे कुछ बड़ा कदम उठाएगी. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में जो रमसा और समसा था, उसे एक किया गया है. जो केंद्रीय प्रवर्तित योजनाएं हैं और जिस तरह से उसकी फंडिंग होती है उसमें तो एक ही है. लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा को मर्ज करने का कोई विचार नहीं है.