जयपुर. राजस्थान में जब कांग्रेस सरकार बनी तो गहलोत सरकार ने कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार किसानों की कर्ज माफी का निर्णय लिया था. गहलोत सरकार अब तक 20 लाख 89 हजार किसानों के 2,00,000 तक के सहकारी बैंकों के जरिए लिए लोन को माफ भी कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार पर किसान कर्ज माफी के सवाल बार-बार उठते रहते हैं.
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इसके पीछे कारण राष्ट्रीय बैंकों का केंद्र सरकार के अधीन होना और जब तक केंद्र सरकार यह हामी न भर दे कि वह राजस्थान सरकार की ओर से लाये जा रहे राष्ट्रीय कृत बैंकों के डिफॉल्ट कर चुके किसानों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम से सहमत है तब तक ऐसे सवाल उठते रहेंगे.
दरअसल राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी वादों में यह लिखा था कि जिन किसानों के ऊपर 2,00,000 तक का कर्ज बकाया है और वह यह ऋण नहीं चुका पा रहे हैं. ऐसे में 30 नवंबर 2018 तक डिफॉल्ट कर चुके किसानों की कर्ज माफी कांग्रेस सरकार करेगी, लेकिन सरकार बनने के बाद परेशानी यह खड़ी हुई कि सहकारी बैंक राजस्थान सरकार के अधीन आते हैं ऐसे में इन बैंकों के 20 लाख 89 हजार कर्जदार किसानों के ऋण तो राज्य सरकार ने माफ करते हुए किसानों को 8000 करोड़ का फायदा दे दिया, लेकिन राजस्थान सरकार के सामने दिक्कत तब आ खड़ी हुई जब नेशनलाइज बैंकों ने एनपीए हो चुके किसानों की कर्ज माफी के लिए इंकार कर दिया.