जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोविड-19 महामारी से उपजी विकट स्थितियों के बावजूद कर्मचारियों के हित में दीपावली के अवसर पर तदर्थ बोनस दिए जाने का फैसला लिया है. साथ ही उन्होंने कुछ कर्मचारी साथियों की ओर से वेतन कटौती समाप्त करने की मांग को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के लिए हर महीने की जा रही वेतन कटौती को भी आगे से स्वैच्छिक किए जाने का फैसला लिया है.
राज्य कर्मचारियों को दीपावली के अवसर पर बोनस भी मिलेगा और कोरोना के प्रबंधन के लिए कटने वाला वेतन भी स्वैच्छिक होगा. मुख्यमंत्री की ओर से किए गए फैसले के अनुसार कर्मचारियों को बोनस का 25% हिस्सा नकद देय होगा और 75% राशि कर्मचारी के जीपीएफ में जमा करवाई जाएगी. वहीं 1 जनवरी 2004 और इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को देय तदर्थ बोनस राज्य सरकार द्वारा एक पृथक योजना तैयार कर उसमें जमा कराया जाएगा.
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राज्य के करीब 7.30 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को तदर्थ बोनस दिए जाने से राजकोष पर करीब 500 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आना संभावित है. इस फैसले के साथ सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि पूर्व में अकाल, बाढ़, भूकंप, अतिवृष्टि और भूस्खलन जैसी आपदाओं के समय कर्मचारियों ने आगे बढ़कर स्वेच्छा से वेतन कटौती करवाकर योगदान दिया है. साथ ही ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, भामाशाह, एनजीओ, प्रवासियों सहित सभी लोगों का सहयोग मिलता रहा है.
मार्च में कोविड-19 का प्रकोप सामने आने पर अधिकारियों-कर्मचारियों के 29 संगठनों ने सरकार को संक्रमण रोकने और पीड़ितों की सहायतार्थ वेतन से कटौती का अनुरोध किया था. बाद में मुख्य सचिव और वित्त एसीएस के साथ 20 अगस्त को विभिन्न कर्मचारी संगठनों की बैठक में भी वेतन कटौती पर सहमति बनी थी. लेकिन कुछ कर्मचारी साथियों ने वेतन कटौती समाप्त करने के अनुरोध पर आगे से ये कटौती स्वैच्छिक किए जाने का निर्णय लिया है.
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सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और इस महामारी में जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हुए कोविड-19 का उत्कृष्ट प्रबंधन किया है. जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है. उन्होंने कहा कि संकट के समय में जीवन और जीविका बचाना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. प्रयास है कि जैसा उत्कृष्ट प्रबंधन अब तक किया गया, वैसा ही आगे भी बना रहे. वित्तीय संसाधनों के कारण ये विपरीत रूप से प्रभावित ना हो इसके लिए प्रदेश को भारत सरकार से जीएसटी क्षति पूर्ति की पूर्ण राशि नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार वर्तमान में 5500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज ले रही है.
गहलोत ने कहा कि वेतन कटौती से प्राप्त राशि का उपयोग कोविड-19 से प्रभावित जरूरतमंदों की सहायता, कोरोना प्रबंधन और वित्तीय संसाधनों को सुदृढ़ करने में किया जा रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर रहे करीब 55.47 लाख जरूरतमंद और गरीब परिवारों को 10 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति और 2 किलो चना प्रति परिवार निःशुल्क वितरण किया है. इसी तरह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित गरीबों, निर्माण श्रमिकों, असहाय, रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर और विभिन्न श्रेणी के 32.27 लाख परिवारों को प्रति परिवार ₹3500 के हिसाब से कुल 1144.39 करोड़ रुपए की नकल सहायता दी गई.
साथ ही करीब 80 लाख पेंशनरों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 3 माह की करीब 1950 करोड़ रुपए की पेंशन का अग्रिम भुगतान महज 35 दिन में ही किया गया. ताकि इस विकट कोरोना काल में उनकी वित्तीय तरलता बनी रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि विषम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार इस महामारी से मुकाबले और जरूरतमंद की सहायता के लिए संसाधनों में किसी तरह की कमी नहीं रहेगी.