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कर्मचारी संघ का फूटा गुस्सा, कहा- गहलोत सरकार के तुगलकी फरमान से नहीं डरते... कल रैली भी होगी, धरना भी होगा

कोरोना गाइडलाइन को लेकर विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक 1 दिन पहले जुलूस, धरना और प्रदर्शन पर रोक लगाने से अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के कर्मचारियों में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि रैली और धरना कल तय समय पर ही होगा.

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राज्य कर्मचारियों में नाराजगी

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Published : Sep 8, 2021, 6:58 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 7:58 PM IST

जयपुर.प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक 1 दिन पहले कोरोना गाइडलाइन जारी कर जुलूस, धरना और प्रदर्शन में लोगों के एक जगह पर एकत्रित होने और सार्वजनिक समारोह करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार के इस आदेश के बाद प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत ने कहा है कि सरकार के तुगलकी फरमान से वह डरने वाले नहीं है. कर्मचारियों की मांगों को लेकर 9 सितम्बर प्रस्तावित रैली और धरना होकर रहेगा.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि अखिल राजस्थान राज्य मंत्रालय कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले 9 सितंबर यानी कल प्रदेश के हजारों कर्मचारी अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं. इस पर प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र से 1 दिन पहले कोरोना गाइडलाइन की बात कहते हुए धरना-प्रदर्शन, जुलूस, रैली सहित सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है.

राज्य कर्मचारियों में नाराजगी

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सरकार अपने तुगलकी फरमान से कर्मचारियों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसे प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेंगे. संघर्ष समिति की ओर से प्रस्तावित रैली और धरना होकर रहेगा. गजेंद्र सिंह ने कहा कि इस रैली और धरने के जरिए सरकार के समक्ष पूर्व में किए गए वादे को लागू करने और वेतन कटौती जैसे अन्य मुद्दों को लेकर अपनी बात रखेंगे. सरकार फिर भी नहीं मानती है तो प्रदेशव्यापी आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

गृह विभाग की ओर से कोरोना गाइडलाइन को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें किसी भी तरह के सर्जरी कार्यक्रम, जुलूस, रैली और धरना-प्रदर्शन सार्वजनिक समारोह पर रोक लगा दी गई है. गाइड लाइन में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम या जहां पर लोग एकत्रित हों वह कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं.

यह है 7 सूत्री मांग पत्र

वित्त विभाग के द्वारा जारी वेतन कटौति आदेश 30 अक्टूबर 2017 को निरस्त किया जाए, साथ ही शासन की ओर से जारी आदेश दिनांक 5 जुलाई 2013 का यथावत प्रभावी किया जाए.

राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति और राज्य सरकार की ओर से गोविंद शर्मा, तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव (वित्त) के मध्य हुए शासन से समझौते के निर्णय 16 अगस्त 2013 के अनुरूप मंत्रालयिक संवर्ग के संस्थापन अधिकारी के 1000, प्रशासनिक अधिकारी के 5000, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के 10000 और सहायक प्रशासनिक अधिकारी 10000 यानी कुल 26000 नवीन पदों का सृजन करना था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कनिष्ठ लिपिक और वरिष्ठ लिपिक के पदों को कम कर ऊपर के पदों का क्रमोन्नत किया गया है जो कि समझौते का उल्लंघन है. ऐसे में कम किये गये पदों को फिर से बहाल कर पदौन्नति के 26000 पदों में से शेष रहे 11000 पदों को नवसृजित किया जाए.

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शासन सचिवालय और अधीनस्थ कार्यालयों में कार्यरत मंत्रालयिक संवर्ग के राजपत्रित और अराजपत्रित पदों में व्याप्त असमानता को दूर करते हुए सचिवालय पैटर्न के अनुसार पद, पदोन्नति प्रावधान और वेतन में समानता के लिए नियमों में संशोधन किया जाए.

वित्त विभाग राजस्थान सरकार के आदेश दिनांक 24 अप्रैल 2017 को पंचायत राज संस्थाओं के 12000 मंत्रालयिक कर्मचारियों पर लागू कर राजस्थान के अन्य 122 विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारियों की तर्ज पर कनिष्ठ सहायक से लेकर संस्थापन अधिकारी तक के पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं. इसके साथ ही उक्त पंचायत राज संस्थाओं के मंत्रालयिक कर्मचारियों को अंतर जिला स्थानान्तरण में एक बारीय शिथिलन प्रदान कर पंचायत राज संस्थाओं के मंत्रालयिक कर्मचारियों को न्याय दिया जाए.

चयनित वेतनमान 9, 18, 27 के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा पर किया जाकर पद का लाभ दिया जाए.

मंत्रालयिक सम्वर्ग के पृथक निदेशालय की स्थापना के आदेश जारी किये जावे। 7. वर्ष 2018 बैच तथा यदि इनके अतिरिक्त भी कोई हो तो ऐसे कनिष्ठ सहायकों को पूर्व की भांति अभियान चलाकर गृह जिले में पदस्थापन दिया जाएं.

Last Updated : Sep 8, 2021, 7:58 PM IST

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