जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर को लेकर चिंता सताने लगी है. विशेषज्ञों की माने तो तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा बताया जा रहा है. इसी को देखते हुए बाल संरक्षण आयोग ने इस पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में आज बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बैठक के जरिए कोविड की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने की पूर्व तैयारियों को लेकर समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. इसके साथ ही अक्षय तृतीया और पूर्णिमा पर होने वाले बाल विवाह की रोकथाम के लिए भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
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संगीता बेनीवाल ने बताया कि प्रदेश में बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण और राज्य सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के चलते कार्यालय बन्द होने के कारण राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की फुल कमीशन बैठक वर्चुअली वेबीनार के माध्यम से आयोजित की गई. बैठक में विशेषज्ञों और चिकित्सकों द्वारा कोरोना महामारी की तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की जा रही है. इस लहर में विशेषतर बच्चों में संक्रमण फैलने की आशंका जताई जा रही है.
कोरोना की तीसरी संभावित लहर से बच्चों को बचाने की पहले से तैयारियां की जाए इसको दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि कोविड़ की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने हेतु पूर्व तैयारियां प्रारम्भ की जावे, ताकि समय रहते बच्चों की सुरक्षा हेतु उचित कदम उठाये जा सके. आयोग द्वारा इस संबंध में कार्ययोजना बनाकर राज्य सरकार को भेजी जाएगी. बेनीवाल ने कहा कि आगामी अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा के पर्व पर सम्भावित बाल विवाहों को रोकने के लिए सभी जिला और उपखण्ड़ स्तरीय अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक का आयोजन कर इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाए. बाल विवाह के दोषियों के विरूद्व पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई जाए और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अन्तर्गत कठोर कार्रवाई की जाए.
आयोग अध्यक्ष ने राज्य के एक ब्लॉक को नोड़ल मानते हुए पूर्णतया बाल-मैत्री बनाने की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए. इस ब्लॉक के समस्त ग्रामों में संचालित राजकीय/गैर-राजकीय संस्थानों/विभागों की समीक्षा कर वहां पर बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाते हुए सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. मॉडल बाल मैत्री ब्लॉक के पश्चात् अन्य जिला/ब्लॉक/ग्राम को चयनित कर आगामी वर्षों में सम्पूर्ण प्रदेश को बाल-मैत्री बनाने का प्रयास किया जाएगा.
बेनीवाल ने राजस्थान में कोरोना महामारी के कारण निराश्रित हुए बालकों या ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उनकी देखभाल करने वाला कोई अन्य व्यक्ति नहीं हो, उनकी सूचना बाल कल्याण समिति, बाल अधिकारिता विभाग, एवं बाल आयोग को देने हेतु अपील की है. साथ ही उन्होंने निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों को पालनहार, गौराधाय, एवं अन्य राजकीय योजनाओं से समय पर सहायता दिलाई जाए. तथा निराश्रित बच्चों को गोद लेने की नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाए, जिससे बच्चों की उचित देखभाल व सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
इस संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करवाया जाए आयोग के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या द्वारा राज्य के निजी और सरकारी बालगृहों में बाल अधिकारिता विभाग के माध्यम से कोविड़-19 से बचाव हेतु भवन को सैनिटाइज करवाने और हाइपोक्लोराइड का छिड़काव करवाने की आवश्यकता व्यक्त की गई, ताकि वहं आवासित बच्चों का कोरोना संक्रमण से बचाव किया जा सके. आयोग के सदस्य डॉ. विजेन्द्र सिंह द्वारा नवीन किशोर न्याय अधिनियम 2015 के संबंध में विषय-विशेषज्ञों के साथ वेबीनार के माध्यम से बैठक आयोजित कर प्राप्त सुझावों को केन्द्र सरकार को भिजवाने एवं राजस्थान राज्य हेतु नियम बनवाने की आवश्यकता जताई गई.
जिस पर बेनीवाल ने अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए. बैठक में राज्य की बाल कल्याण समितियों से की जाने वाली वेबीनार के संबंध में चर्चा करते हुए आयोग अध्यक्ष द्वारा आगामी दिनों में समस्त संभाग की बाल कल्याण समितियों के साथ वर्चुअल बैठक करने के निर्देश दिए गए. आयोग के सदस्य शिव भगवान नागा द्वारा स्कूल फीस की शिकायतों पर ध्यान आकर्षित किया. स्कूल फीस के संबंध में अभिभावकों एवं विद्यालयों को होने वाली उलझनों को सुलझाने तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार अभिभावकों को दी गई राहत पर विस्तृत चर्चा करने हेतु आगामी सप्ताह में विभाग के उच्चाधिकारियों, विषय विशेषज्ञों, आदि के साथ वेबीनार का आयोजन कर दिशा-निर्देश जारी किए जाने हेतु बैठक में निर्णय लिया गया.