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राजस्थान में फिर मंत्रिमंडल फेरबदल की आहट के बीच सियासी हलचल तेज, माकन-गहलोत के बयान से मिल रहे संकेत - ETV Bharat Rajasthan News

राजस्थान में एक बार फिर मंत्रिमंडल फेरबदल की आहट सुनाई पड़ रही है. अजय माकन के बाद गहलोत के बयान से लग रहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद एक और मंत्रिमंडल फेरबदल के फैसले पर मुहर लग सकती है. देखिए ये रिपोर्ट...

CM Ashok Gehlot
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

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Published : Apr 20, 2022, 5:31 PM IST

जयपुर. क्या प्रदेश में जल्द ही एक बार फिर से मंत्रिमंडल फेरबदल होगा ? इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं और अगर विभिन्न घटनाक्रमों को इससे जोड़कर देखा जाए तो (Speculation of Cabinet Expansion Again in Rajasthan) लग रहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सियासी हलचल देखने को मिल सकती है. ये चर्चाएं भी बेवजह नहीं हैं, बल्कि इसे कुछ घटनाक्रमों से जोड़ा जा रहा है.

दरअसल, हाल ही में रतनपुर बॉर्डर पर कांग्रेस की गौरव यात्रा को संबधित करते हुए सीएम गहलोत ने चुटकी ली थी कि गोविन्द सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चौधरी कभी भी वापस मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. यह बात भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में कही गई हो, लेकिन इसे मंत्रिमंडल फेरबदल के भावी संकेत माने जा रहे हैं. इससे पहले पिछले साल 21 नवंबर को लंबे सियासी कयासों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था. इस मंत्रिमंडल विस्तार वाले दिन ही पीसीसी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा था कि जल्द ही एक पुनर्गठन फिर से होगा. इस पुनर्गठन में मंत्रियों की परफॉर्मेंस के आधार पर फेरबदल होगा. माकन ने यह फेरबदल मई-जून के आसपास होने के संकेत भी दिए थे. अब मुख्यमंत्री ने इससे जुड़ा बयान देकर प्रदेश में सियासी हलचल पैदा कर दी है.

क्या कहा था गहलोत ने ? सुनिए...

मुख्यमंत्री गहलोत भले ही हंसी-मजाक में कहे, लेकिन उनकी हंसी की बात भी होती है गंभीर : ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई बात मजाक में कहें तो उसमें कोई गंभीरता नहीं होती. आपको बता दें कि पिछली बार जब 21 नवंबर को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था तो उससे कुछ दिन पहले (Gehlot Cabinet Reorganization) मुख्यमंत्री सचिवालय में कर्मचारी संघ के समारोह में गए थे और वहां इसी तरह हल्के-फुल्के अंदाज में मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए थे. अब फिर उसी अंदाज में मुख्यमंत्री ने यह शिगूफा छेड़ दिया है.

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प्रदेश में जुलाई से पहले राज्यसभा चुनाव होने हैं और चर्चाएं हैं कि राज्यसभा चुनाव के बाद (Rajya Sabha Election Effect in Rajasthan) प्रदेश में यह बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिल सकता है. राज्य मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं और वर्तमान में यह कोटा फुल है. प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 20 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री हैं. ऐसी स्थिति में यदि मंत्रिमंडल में किसी नए चेहरे की एंट्री होती है तो उसकी जगह किसी चेहरे को बाहर भी करना पड़ेगा. इसलिए परफॉर्मेंस ही इस फेरबदल का पैमाना होगा.

पिछली बार जब मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ था तो गोविंद सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चौधरी मंत्रिमंडल से बाहर हुए थे. डॉ. रघु शर्मा गुजरात और हरीश चौधरी पंजाब प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे हैं तो डोटासरा अभी पीसीसी चीफ हैं. अब इन्हें वापस मंत्रिमंडल में लिया जाता है तो इन्हें वर्तमान जिम्मेदारियों से मुक्त भी किया जा सकता है. सियासी समीकरण (Rajasthan Congress Politics) साधने के लिए कुछ और चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. बहरहाल, अभी चर्चाएं शुरू हुई हैं और ये कयास हकीकत में तब्दील हो पाएंगे या नहीं, इसके लिए अभी कुछ इंतजार करना होगा.

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राज्यसभा चुनाव से पहले 15 विधायकों को मिलेंगे संसदीय सचिव के पद : मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अभी केवल अटकलें चल रही हैं और माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा. लेकिन राज्यसभा चुनाव से पहले 15 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर पद देने की तैयारी चल रही है. इन 15 विधायकों में ज्यादातर फर्स्ट टाइमर और निर्दलीय विधायक होंगे, ताकि राज्यसभा चुनाव में निर्दलीयों का साथ कांग्रेस पार्टी को मिल सके. इससे पहले 3 निर्दलीय विधायकों रामकेश मीणा, संयम लोढ़ा और बाबूलाल नागर को मुख्यमंत्री का सलाहकार और 3 निर्दलीय विधायकों महादेव खंडेला, रमिला खड़िया और लक्ष्मण मीणा को राजनीतिक नियुक्तियां दे दी गई हैं. अब बाकी बचे 7 निर्दलीय विधायकों में से भी कुछ विधायकों को राज्यसभा चुनाव से पहले पद देकर संतुष्ट किया जाएगा.

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