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स्पेशल: यहां प्रेमी जोड़ों पर खतरे हैं तमाम, सरकार भी सुरक्षा देने में नाकाम

वैसे तो प्रेम का ना कोई मुहूर्त होता और ना कोई दिन. प्यार करने वालों के लिए हर महीना हर मौसम एक अलग ही एहसास लेकर आता है. वैलेंटाइन्स डे हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है. वैलेंटाइन डे पर हम आप को राजस्थान में प्यार करने वालों और उनकी सुरक्षा के अनछुए पहलुओं के बारे में बताते हैं. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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राजस्थान में कपल शेल्टर होम की जरूरत

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Published : Feb 14, 2020, 3:27 PM IST

Updated : Feb 14, 2020, 3:45 PM IST

जयपुर.राजस्थान में शौर्य बलिदान के किस्सों के अलावा यहां ढोला-मारू , मीरा बाई के अनन्य प्रेम की कहानियां भी सुनने को मिलती है. लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए ऑनर किलिंग और कपल सुसाइड केस ने प्रदेश की इस छवि को धूमिल किया है. अपने माता-पिता की इजाजत के बगैर शादी करने वाले प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर प्रदेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है. प्रदेश की सरकार इसको लेकर गंभीर भी है. यहां तक की अंतरजातीय विवाह करने वालों को सरकार 5 लाख रुपये की सहायता राशि भी मुहैया कराती है. लेकिन बावजूद इसके ऑनर किलिंग की घटनाएं नहीं रूक रहीं हैं.

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प्रदेश में ऐसी घटनाएं आती रहती है सामने

10 फरवरी को प्रदेश में तीन ऐसी घटनाएं हुईं, जिसमें प्रेम विवाह करने वालों को उनके घरवालों ने मौत के मुंह में पहुंचा दिया. ये घटनाएं जयपुर, दूदू और हनुमानगढ़ में हुईं. ऐसा नहीं है, कि प्रदेश में ऐसी घटना पहली बार हुई है. जयपुर के करधनी थाना क्षेत्र में बेटी के प्रेम विवाह से नाराज पिता ने बिहार से गैंग बुलवा कर गर्भवती बेटी को मरवा दिया था. प्रदेश में ऐसी घटनाएं एक महीने में दो से चार बार सामने आ ही जाती हैं.

राजस्थान में कपल शेल्टर होम की जरूरत

राजस्थान में नहीं कपल शेल्टर होम

वहीं इन घटनाओं पर सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू बताती हैं, कि राजस्थान में सरकार के स्तर पर कपल शेल्टर होम नहीं होने से इन प्रेमी जोड़ों को खतरे के साए में जीना पड़ता है. यहां तक कि सुरक्षित घर नहीं मिलने से पिछले दिनों ऑनर किलिंग की घटनाएं सामने आईं हैं. इतना ही नहीं, परिवार वालों के दवाब के चलते एक जगह से दूसरी जगह भागते-भागते कई प्रेमी जोड़ों ने थक-हार कर सुरक्षा के अभाव में मौत को गले लगाया.

प्रेमी जोड़े शादी करने के बाद असुरक्षित

प्रदेश की गहलोत सरकार प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा का दावा तो करती आई है, लेकिन दूसरे राज्यों की तर्ज पर प्रदेश में कोई कपल शेल्टर होम नहीं है. जिसकी वजह से इन प्रेमी जोड़ों को शादी करने के बाद दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. परिवार के खिलाफ जाकर अंतरजातीय विवाह करने वाली शिखा तिवारी और लता सिंह बताती हैं, कि जब उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था, तब दोनों के परिवार वाले विरोध में थे. इसी वजह से घर से भाग कर शादी की. लता सिंह कहती हैं, कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर राजस्थान में भी कपल शेल्टर होम खोला जाए, ताकि कोई भी प्रेमी जोड़ा जब परिवार के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह करे तो शुरुआती दिनों में रहने का कोई ठिकाना मिले सके.

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राज्य सरकार को करनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना

ये कहानी शिखा तिवाड़ी और लता सिंह की ही नहीं है. ऐसे कई प्रेमी कपल हैं, जो इस दौर से गुजरे हैं. कई ऐसे भी कपल हैं, जिन्होंने समाज की झूठी शानो-शौकत में जीने वाले परिवार से परेशान या तंग होकर मौत को गले लगा लिया. ऐसे में प्रदेश की सरकार को 27 मार्च 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करनी चाहिए, जिसमें देश की सबसे बड़ी अदालत ने शक्ति वाहिनी बनाम सरकार में फैसला सुनते हुए सभी प्रदेशों में कपल शेल्टर होम खोलने के निर्देश दिए हुए हैं. इतना ही नहीं, मिनिस्ट्री ऑफ होम ने तो सभी प्रदेशों के चीफ सेकेट्री को 3 से 4 बार चिट्टी लिखकर कपल शेल्टर होम खोलने के निर्देश भी दिए हैं.

ऐसे में अब जरूरत है, कि प्रदेश की गहलोत सरकार भी पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की तर्ज पर कपल शेल्टर होम खोले ताकि इन प्रेमी जोड़ों को प्यार का सुरक्षित घर मिल सके.

Last Updated : Feb 14, 2020, 3:45 PM IST

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