जयपुर.लॉकडाउन में जहां-तहां फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बस उपलब्ध कराने को लेकर जारी जद्दोजहद के बीच अब राजनीति हावी हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा बसें चलाने के एलान और इसकी अनुमति को लेकर कांग्रेस और यूपी की योगी सरकार के बीच जारी चिट्ठी की जंग के दौरान राजस्थान के यूपी बॉर्डर पर भी तनाव बढ़ गया. प्रियंका गांधी के निर्देश पर जयपुर से रवाना हुई बसें भरतपुर पहुंचने के बाद बॉर्डर पर अटक गईं. यूपी पुलिस ने जहां अपने एरिया में नाकेबंदी कर दी है. वहीं, जयपुर-आगरा हाईवे पर राजनीति का खेल जारी है.
इस बीच बदलते घटनाक्रम के साथ ही राजनीतिक पारा भी लगातार चढ़ता जा रहा है. इस राजनीति की असल जड़ 1 हजार बसों को लेकर जारी हुई वो सूची है, जो कि सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही है. इस सूची को लेकर भाजपा नेताओं का आरोप है कि इसमें अधिकतर नंबर बाइक, ऑटो के हैं. जबकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सौंपी गई सूची में जितने भी नंबर हैं, वे सभी बसों के ही हैं.
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इस मामले में राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि सूची में दिए सभी नंबर बसों के ही हैं, वे सभी बसें यूपी बॉर्डर पर खड़ी हैं, चाहें तो उसे चेक करवा सकते हैं. इसी प्रकार चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग ने भी बयान देते हुए कहा कि सभी बसें यूपी बॉर्डर पर खड़ी हैं, यूपी सरकार जैसे-जैसे अनुमति देती जाएगी बसें रवाना होती रहेंगी. सुभाष गर्ग के इस बयान के बाद शाम होते-होते जब बसों को यूपी में एंट्री नहीं मिली तो यूपी बॉर्डर पर राजनीतिक रूप से तनाव बढ़ गया. इसी प्रकार राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी यूपी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं. यूपी सरकार अपना झूठ छुपा रही है.
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भरतपुर बॉर्डर पर बसों के साथ पहुंचे मंत्रियों की गाड़ियों को यूपी पुलिस ने वापस लौटा दिया तो कांग्रेस कार्यकर्ता बसों की मंजूरी को लेकर हाईवे पर ही घरने पर बैठक गए. उधर, राजस्थान और यूपी पुलिस के साथ ही महकमे के आलाधिकारी भी आमने-सामने हो गए हैं. इस तनातनी के दरमियान राजनीतिक बयानों के तीर भी तरकश से तेजी से निकलने लगे हैं. इस मुद्दे पर राजस्थान सरकार में डिप्टी सीएम सचिन पायलट और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पिछले दो दिन से जारी बस राजनीति के बीच हम आपको जयपुर से भरतपुर पहुंची बसों के बाद बदले हर घटनाक्रम को सिलसिलेवार बता रहे हैं.
- 17 मई 2020: प्रियंका गांधी के निर्देश के बाद बसें भेजनी हुई शुरू
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश के बाद राजस्थान की तरफ से प्रवासी मजदूरों को छोड़ने के लिए यूपी के लिए बसें भेजनी शुरू की गई. राजस्थान रोडवेज की कई बसें 17 मई को उत्तर प्रदेश के लिए रवाना की गईं, लेकिन सभी बस चालकों को जिले के बहज गांव में कई घंटों इंतजार करना पड़ा. बॉर्डर पर कई घंटे इंतजार करने के बाद भी बसों को उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसने की अनुमति नहीं मिली.
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इस दौरान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग का एक बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि जिन मजदूरों को उनके घर जाना है, उनके लिए कांग्रेस सरकार सराहनीय कार्य कर रही है. उन्होंने यूपी सरकार को लेकर भी कहा कि योगी सरकार को चाहिए कि जो भी पार्टी मदद करना चाहती है या फिर जो भी मजदूर बसों के माध्यम से जा रहे हैं, उन बसों को योगी सरकार को जाने को अनुमति दे देनी चाहिए.
- 18 मई 2020: बसों को बहज चौकी पर रोक दिया गया...
राजस्थान कांग्रेस कमेटी की ओर से यूपी पैदल जा रहे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए 18 मई को करीब 150 बसें भेजी गई. सोमवार को भी इन 150 बसों को यूपी में घुसने की अनुमति नहीं मिली. ऐसे में बसों को भरतपुर-डीग की उत्तर प्रदेश सीमावर्ती बहज चौकी में ही रोक दिया गया.
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इसकी सूचना पर सोमवार देर शाम मौके पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और यूपी कांग्रेस के नेताओं ने योगी सरकार से वार्ता की, लेकिन काफी प्रयास के बाद वार्ता विफल रही. बसों को सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने पर वापस भेज दिया गया. सोमवार को ही इससे पहले राजस्थान-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित बहज चौकी पर राज्य मंत्री सुभाष गर्ग और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह सहित यूपी के मथुरा से पूर्व विधायक प्रदीप माथुर व मथुरा से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी मौके पर पहुंचे लेकिन वार्ता विफल रही थी.
- 19 मई 2020: राजनीतिक बयानबाजी शुरू
राजस्थान की ओर से प्रवासी मजदूरों को छोड़ने के लिए 1 हजार बसें भेजी जा रही है, जिसमें से 100 बसें भरतपुर से जा रही है. जिले के 3 अलग-अलग बॉर्डर से 1 हजार बसें रवाना होंगी, लेकिन अभी तक बसों की एंट्री के लिए अनुमति नहीं मिली है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने प्रवासियों को सड़क पर चलना तो बंद करवाया ही है, साथ ही उन्होंने श्रमिक बसें चलाने का जो निर्णय लिया है वह अपने आप में देश में अपनी छाप छोड़ रहा है. राजस्थान के अलग-अलग जिलों से यह बसें रवाना हो रही है, जिन पर सवार होने के लिए बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर भी पहुंच रहे हैं.