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ग्रामीण योद्धा: संतों की नगरी नरेना ने रचा ऐसा चक्रव्यू की कोरोना भी नहीं पाया भेद

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Published : Jul 10, 2020, 1:43 PM IST

पूरे देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. जिसे लेकर सरकार भी चिंता में है. वहीं, जयपुर से 65 किलोमीटर दूर स्थित नरेना ग्राम पंचायत में आज के समय में एक भी एक भी कोरोना का मरीज नहीं है. यहां के ग्रामीण योद्धाओं ने कोरोना को मात देकर अपने गांव के लोगों को सुरक्षित रखा. देखिए जयपुर से ये स्पेशल रिपोर्ट...

राजस्थान न्यूज, jaipur news
नरेना के ग्रामीण योद्धाओं की कहानी

जयपुर.कोरोना एक संक्रमण जिसके वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रखा दिया है. विश्व के मानचित्र पर ऐसा शायद ही कोई देश हो जो इस वायरस के प्रभाव से बचा हो. देश- दुनिया में दहशत फैला रहे इस वायरस का असर भारत में भी बहुत अधिक देखने को मिल रहा है. राजस्थान के कई जिले इसके प्रभाव से आज भी रेड जोन जैसे हालात से गुजर रहे है.

नरेना के ग्रामीण योद्धाओं की कहानी

ईटीवी भारत पहुंची नरेना ग्राम पंचायत

खास बात ये है कि कोरोना का प्रभाव शहरों में भले ही अपना प्रभाव डाल पाया हो. लेकिन मरुप्रदेश के ग्रामीण योद्धाओं ने जागरूता और सतर्कता से कोरोना के संक्रमण को गांव में घुसने तक नहीं दिया. ग्रामीण योद्धा के रुप में आज बात करेंगे जयपुर से 65 किलोमीटर दूर संतों की नगरी ग्राम पंचायत नरेना की. यहां के गांव वालों ने ऐसा चक्रव्यूह रचा की कोरोना वायरस उसे भेद भी नहीं पाया. ईटीवी भारत ने संतों की नगरी नरेगा में की पड़ताल. नरेना को संतों की नगरी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर दादू जी महाराज ने तपस्या की थी और इस गांव में दादू महाराज का प्रमुख पीठ भी है. इतना ही नहीं इस गांव में सिख समाज भव्य गुरुद्वारा भी है, जहां गुरु गोविंद सिंह का आगमन हुआ था. संतों से मिले मार्गदर्शन का ही नतीजा रहा कि यहां के लोग एक सूत्र में बंधे हुए हैं. इनकी इस एकता को कोरोना वायरस भी नहीं भेद पाया.

नरेना ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने जीती कोरोना से जंग

कोरोना का गांव में नहीं हुआ प्रवेश

प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जब लॉकडाउन जैसे हालात थे तब यहां बुजुर्गों का सहयोग और युवाओं की सूझ भुझ ने कोरोना संक्रमण को गांव में प्रवेश तक नहीं करने दिया. यहां के युवाओं ने अन्य गांव से जुड़ने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया और गांव में प्रवेश के लिए मात्र एक रास्ते को चालू रखा जिस पर भी निगरानी रखी गई. जिससे कोई भी व्यक्ति दूसरे गांव या शहर से प्रवेश नहीं कर सके.

गांव में नहीं है एक भी कोरोना मरीज

पूर्व जिला परिषद सदस्य ह्रदय सुमन पारीक बताते हैं कि गांव वालों की आपसी समझ और सजगता के चलते कोरोना संक्रमण इस गांव में नहीं घुस सका. गांव वालों ने अपने स्वविवेक से निर्णय लेते हुए गांव में प्रवेश के सभी मार्गों को बंद कर दिया. किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पूर्ण तरीके से रोक लगा दी.

ग्रामीणों ने सरकार की गाइडलाइन का किया पालन

स्थानीय नागरिक अवदेश बताते हैं कि वायरस से बचने के लिए ग्रामीण सरकार की ओर से दी गई गाइडलाइन की पालना करते हैं. मास्क पहनने, बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने की नसीहत ग्रामीणों को दी गई थी. यही वजह है कि गांव में अब तक कोई भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया है.

सभी ने की सोशल डिस्टेंसिंग की पालना

युवा ग्रामीण राकेश बोहरा की मानें तो खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. अभी भी देश दुनिया में कोरोना वायरस का असर बरकरार है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन भले खुल गया हो और लोगों की आवाजाही भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन अभी भी गांव वाले बिना मास्क पहने घर से बाहर नहीं निकलते हैं. इतना ही नहीं बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने के नियमों की भी पालना करते हैं.

जरूरतमंदों की भी की सहायता

महिलाओं ने रखा स्वच्छता का ध्यान

युवा व्यवसायी गौरव कुमावत बताते हैं कि गांव वालों ने केवल गाइडलाइन की ही पालना कर गांव को कोरोना संक्रमण से नहीं बचाया, बल्कि इस संकट की घड़ी में जरूरत मंदों तक सहायता भी पहुंचाई. कोई भूखा नहीं सोए इसके लिए आपसी सहयोग से लोगों को निशुल्क भोजन कराया गया. स्वयं की सजगता से गांव के लोग इस वायरस से बच सके और आगे भी जो निर्देश जारी किए जा रहे है उनकी पालन कर रहे हैं. गांव में अगर महिलाओं को भी देखे तो वह भी अपने जरूरी कामकाज के दौरान मास्क का उपयोग करती हैं. युवा भी इस कोरोना वायरस के परिणामों को समझते हैं और इसीलिए वह हमेशा मास्क पहन कर रहते थे. दुकान पर भी जब हमनें देखा तो वहां पर भी लोग ही नहीं बल्कि दुकानदार भी मास्क लगाकर अपना व्यवसाय कर रहे थे.

ग्रामीणों ने शुरूआत से की सोशल डिस्टेंसिंग की पालना

युवा अमित भटनागर बताते हैं कि अभी भी राज्य और केंद्र सरकार की ओर से जो गाइडलाइन जारी की जा रही है उसकी पालना वो सब स्वयं व्यक्त करते हैं. क्योंकि अभी भी कोरोना वायरस जैसे संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हुआ है. नरेना ग्राम पंचायत के इस गांव में करीब 700 घरों की बस्ती है, जिसमें 11 हजार से अधिक लोग रहते हैं. अलग-अलग समाज के लोग उनके बावजूद सभी आपस में मिल के रहते हैं. जब हमारी टीम नरेना ग्राम पंचायत में पहुंची और वहां के हालातों को देखा तो वहां भी लोग सरकार की गाइडलाइन की पूरी पालन करते नजर आए. सभी ने मास्क पहने हुए थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे.

व्यापारियों ने भी की सोशल डिस्टेंसिंग की पालना

व्यापारी कांति कुमार लुहारिया बताते हैं कि गांव के लोग कोरोना वायरस जैसे संक्रमण की गंभीरता को पहले दिन से ही समझ रहे थे और उन्होंने कोई भी ऐसी लापरवाही नहीं की जिसकी वजह से गांव में संक्रमण का खतरा बढ़ता. उनहोने कहा कि यहां के लोगों ने आपसी सहयोग से पूरे लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन किया. कोई भी व्यक्ति से गांव से बाहर नहीं गया और ना ही गांव में किसी बाहरी व्यक्ति को आने दिया गया. इतना ही नहीं गांव में अगर किसी के आर्थिक हालात सही नहीं है तो उसे एक दूसरे के सहयोग से मदद भी की गई.

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