जयपुर.राजस्थान में लगातार शिशु मृत्यु दर को लेकर बीते एक हफ्ते में कोटा के जेके लोन अस्पताल पर सियासत गरमाई हुई है पर हकीकत यह है कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं को गंभीर बीमारियों से बचाने में नाकामी बड़े स्तर पर देखने को मिली है. कोटा के बाद बूंदी में भी कम अंतराल में 10 मौत से सवाल खड़े हो गए वहीं अब सुबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गृह नगर में भी तस्वीर चिंताजनक देखने को मिली है.
राजस्थान में दम तोड़ते नवजात.... जोधपुर का उम्मेद अस्पताल पहले भी मातृ शिशु मृत्यु दर को लेकर बदनाम हो चुका है. वहीं साल 2019 के दिसंबर के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो स्थिति बेहतर नहीं कही जाएगी. इसके पीछे आंकड़े पूरे माजरे को साफ बयां करते हैं. अस्पताल में यहां लगभग 4689 शिशु भर्ती किए गए थे, जिनमे से 146 ने इलाज के दौरान अस्पताल में ही दम तोड़ दिया था.
अगर नवजात शिशु को लेकर आंकड़ा देखें, तो 3000 मामलों में लगभग 100 बच्चों की मौत यहां हुई है, जबकि उम्मेद अस्पताल जोधपुर संभाग का सबसे बड़ा महिला अस्पताल है. अस्पताल की स्थिति पर अगर गौर किया जाए, तो साल 2019 में यहां कुल 42 हजार के करीब मरीज़ आए, जिनमे से 1814 PICU (Pediatric intensive care unit) में भर्ती किये गये थे और इलाज के दौरान 172 बच्चों ने दम तोड़ दिया.
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जाहिर है कि ये हालत हमेशा से ही बिगड़े रहे हैं, साल 2018 में नीति आयोग की स्टेट हेल्थ रिपोर्ट में राजस्थान की जगह झारखंड जेसे पिछड़े राज्यों से भी खराब बताई गई थी, तब तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार की काफी आलोचना हुई थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की साल 2016 से 18 का व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वे (Comprehensive National Nutrition Survey) 2016-18 की अक्तूबर 2019 में आई रिपोर्ट बताती है कि देश में कम वजन वाले बच्चों के मामले में राजस्थान की स्थिति बेहतर नहीं है.
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रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक 100 बच्चों में से 31.5 बच्चों का वजन औसत से कम होता है अवरुद्ध विकास के आकड़े सबसे नीचे है, जहां देश का औसत प्रति 100 बच्चों के आधार पर 34.7 है, तो राजस्थान में यह 36.8 है, तरह जन्म 5 साल तक के शिशुओं की दर अगर बात करें, तो मई 2019 में SRS (Sample Registration System) 2019 की सर्वे रिपोर्ट आई थी, जिसमें प्रति हजार देश में 33 बच्चों की मौत के मुकाबले राजस्थान में प्रति हजार 38 बच्चों की मौत हो रही है. यह आंकड़े साफ करते हैं कि नई स्थिति आज बेहतर है और ना ही कल कुछ अच्छी बोली जाएगी.