जयपुर. "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" यानी जहां पर स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं. भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है. आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. इसके बाद भी देश में बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. देश में हर साल घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं प्रदेश की बात करें तो वैश्विक महामारी के दौरान इस साल जनवरी से मई तक में घरेलू हिंसा के 4000 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
वर्ष 2019 और जनवरी 2020 से लेकर मई तक की बात करें तो घरेलू हिंसा के प्रकरणों में 41.87% की कमी देखने को मिली है. लेकिन इसके बाद भी पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार हुईं हैं. वहीं ढेरों ऐसे मामले भी रहे जो कानूनी दस्तावेज में दर्ज ही नहीं किए गए.
घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण
निर्भया स्क्वाड की इंचार्ज एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के अनेक प्रकरण सामने आए. इनमें ज्यादातर मामले ऐसे रहे जिनमें नशाखोरी की वजह से हुए. पुरुषों ने शराब पीकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की. महिलाओं के साथ इस प्रकार कि घटना का बुरा प्रभाव घर के बच्चों पर भी पड़ता है. ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर निर्भया स्क्वाड ने दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार कर तत्काल कानूनी कार्रवाई की है.
नशे में महिलाओं से मारपीट और बुरा व्यवहार करने वाले कई व्यक्तियों को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती भी करवाया गया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान काम धंधे बंद होने के कारण लोग अपने घरों में ही रहे. इस दौरान वैचारिक मतभेदों के चलते भी महिलाओं पर अत्याचार हुए.