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विधायक किस तरह के सवाल पूछ सकता है, इसको लेकर Speaker ने जारी किए दिशा-निर्देश

राजस्थान विधानसभा के मौजूदा सत्र में सवाल पूछने के इच्छुक विधायकों के लिए स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने 9 बिंदुओं के विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें विधायकों को गाइडलाइन दिया गया है कि वे अपने जिले, विधानसभा और तहसील से जुड़े ही सवाल पूछे और जानकारी 5 साल से अधिक पुरानी ना मांगें.

Rajasthan Legislative Assembly, राजस्थान स्पीकर का गाइडलाइन
विधायक किस तरह के सवाल पूछ सकता है इसको लेकर जारी किए स्पीकर ने दिशा-निर्देश

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Published : Jan 31, 2020, 1:54 PM IST

जयपुर.राजस्थान विधानसभा के मौजूदा सत्र में सवाल लगाने के इच्छुक विधायकों के लिए स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने 9 बिंदुओं के विशेष दिशा-निर्देश जारी किए है. इस दिशा-निर्देश में विधायकों की ओर से पूछे जाने वाले सवाल किस तरह के हो इसको लेकर गाइडलाइन तय की गई है. वहीं विधायकों को यह साफ कर दिया गया है कि वे अपने जिले विधानसभा और तहसील से जुड़े ही सवाल पूछे और जानकारी 5 साल से अधिक पुरानी ना मांगी जाए.

विधायक किस तरह के सवाल पूछ सकता है इसको लेकर जारी किए स्पीकर ने दिशा-निर्देश

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जारी इस दिशा-निर्देश को लेकर विधायकों में मिली जुली प्रतिक्रिया है. भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि सवाल सार्वजनिक हित के हों और ज्यादा विस्तृत ना हो यह तो ठीक है. लेकिन विधायक को उसके विधानसभा क्षेत्र या जिला विशेष तक बांध के रखना भी गलत होगा. क्योंकि विधानसभा पूरे राजस्थान की है और विधायक पूरे राजस्थान से जुड़े सवाल पूछने का हक रखता है.

स्पीकर ने यह दिशा-निर्देश किए हैं जारी...

विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए इस बुलेटिन में कहा गया है कि जिन प्रश्नों को स्वीकार किया जाएगा, उनको नियमित रूप से दर्ज कर दिया जाएगा और जिन प्रश्नों को जारी नियमानुसार जांच में सही नहीं पाया गया, उन्हें डिफेक्टिव श्रेणी में रख दिया जाएगा. इस संबंध में संबंधित सदस्य को भी जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा विधानसभा के सदस्य 1 दिन में अधिकतम 10 तारांकित और 10 अतारांकित प्रश्नों की सूचना जानने के लिए प्रश्न शाखा में देगा.

इसके अलावा जहां तक संभव हो एक दिवस में अलग-अलग विभाग से संबंधित सूचना ही मांगी जाए ताकि लॉटरी में अधिक से अधिक विभागों के प्रश्न शामिल हो सके. विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को प्रश्न लगाने के तरीके पर भी जोर दिया, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष ने साफ किया कि एक ही प्रश्न इतना विस्तृत ना हो. इसकी सूचना एकत्रित करने में काफी समय लगने की संभावना हो.

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वहीं प्रश्न में जहां तक संभव हो गत 5 वर्षों से अधिक सूचना नहीं मांगी जाए. इसके अलावा स्पीकर ने ये भी साफ कर दिया कि प्रश्न सार्वजनिक हित के हो ना कि व्यक्तिगत हित में पूछी गई जानकारी हो. जारी किए गए दिशा-निर्देश में यह भी लिखा गया है कि प्रश्न में जहां तक संभव हो अधिकतम तीन या चार बिंदु से अधिक जानकारी ना पूछी जाए. साथ ही जहां तक संभव हो प्रश्नों को सारगर्भित भाषा में अंकित कर ऑनलाइन विधानसभा में भेजा जाए.

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