जयपुर. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने एक संवाद कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रियों के कामकाज में दखल नहीं देते, जबकि राज्य में पूरी शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती हैं. ऐसा मैंने अपने सड़क और परिवहन मंत्री रहते हुए देखा है.
सीपी जोशी ने कहा कि मैंने राज्य सरकार के काम करने का तरीका देखा है. राज्य सरकार में काम करने की पूरी शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती हैं. केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों को काम करने के तरीकों में पूरी छूट देते हैं और यह मैंने केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहते हुए देखा है.
क्या हैं सीपी जोशी के इस बयान के मायने... उन्होंने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सड़क एवं परिवहन मंत्री था तो मुझे पूरी तरह से छूट दी गई थी. एक तरह से आप यह कह सकते हैं कि मैं अपने विभाग का प्रधानमंत्री था. प्रधानमंत्री ने ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर को पूरी तरह से आजादी दी. उन्होंने कहा कि विभाग को अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों से समन्वय कर नेशनल हाईवे बनाने होते हैं. इस काम में भूमि अधिग्रहण का काम राज्य सरकार करती है और भारत सरकार इसका पूरा पैसा देती है. यदि राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण का काम ही नहीं करे तो नेशनल हाईवे भी नहीं बन सकेंगे.
प्रधानमंत्री का काम देश मे सुविधाएं उपलब्ध कराने का है, जबकि सुविधाओं की क्रियान्विति कराने का काम मुख्यमंत्री का है. जोशी ने कहा कि मेरी नजर में प्रधानमंत्री नीतियां बनाते हैं और उन्हें लागू करने का काम राज्य सरकार करती है.
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आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 से 2013 तक सड़क एवं परिवहन मंत्री रह चुके हैं. वहीं, प्रदेश में गहलोत सरकार के समय 1998 में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, लोक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और नीति योजना से विभाग संभाल चुके हैं.
शिक्षा के बदलाव पर संसद और विधानसभा में नहीं की चर्चा...
सीपी जोशी ने शिक्षा को लेकर भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद आज दो तरह के बच्चे स्कूल में आ रहे हैं. एक तो वे बच्चे जिनके माता-पिता पढ़े-लिखे थे और उन्हें ऑनलाइन पढ़ने का मौका मिला. दूसरा वे बच्चे जिनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे और उन्हें ऑनलाइन पढ़ने का मौका नहीं मिला.
एक क्लास में 40 बच्चे हैं तो 20 बच्चे ऐसे होंगे जो ऑनलाइन पढ़े लिखे होंगे और 20 बच्चे ऐसे होंगे जो ऑनलाइन नहीं पढ़े होंगे. शिक्षा के बदलाव को लेकर हमने कभी भी संसद और विधानसभा में चर्चा नहीं की. ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ने का मौका नहीं मिला और उसे शिक्षक पढ़ा नहीं पाएगा. ऐसी स्थिति में ड्रॉपआउट होगा और वह शिक्षा में आगे नहीं बढ़ पाएगा. उस बच्चे को आगे बढ़ने के समान अवसर नहीं मिलेंगे और इससे सामाजिक विषमता पैदा होगी.
केंद्र और राज्य की चर्चा क्यों, यहां समझिये...
दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक कार्यक्रम के दौरान 2 अक्टूबर को कहा था कि उन्हें अभी 15-20 साल तक कुछ नहीं होने वाला है. अगली बार भी वह शांति धारीवाल को यूडीएच मंत्री बनाएंगे. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इशारों में मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधा था.
सचिन पायलट ने कहा था कि हमेशा कोई पद पर नहीं रहता, लेकिन जिन लोगों में यह घमंड और अहंकार आ जाता है कि हम जीवन के अंतिम पड़ाव तक सत्ता में बैठे रहेंगे, यह गलत है. वहीं, पायलट के समर्थक विधायक और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने इशारों में शुक्रवार को सीएम गहलोत पर निशाना साधा. राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अशोक गहलोत ने खुद को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करते हुए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को फिर से चौथी बार कैबिनेट मंत्री बनाने की बात कहकर कांग्रेस पार्टी की परंपरा का पालन नहीं किया है.
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राजेंद्र चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान कांग्रेस के लोकतंत्र के अनुसार ठीक नहीं है. कांग्रेस में सभी निर्वाचित विधायक विधायक दल का नेता चुनते हैं या फिर सभी विधायक नेता चुनने का अधिकार पार्टी आलाकमान को देते हैं. कांग्रेस के लोकतंत्र में यही परंपरा चली आ रही है. पायलट समर्थक राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री शतायु हों, लेकिन कांग्रेस के लोकतंत्र में मुख्यमंत्री बनाने का विधायक दल को है. मुख्यंमत्री ने उससे बाहर जाकर बात क्यों कि पता नहीं ? ऐसे में माना जा रहा है कि सीपी जोशी का बयान भी इसी परिपेक्ष में दिया गया है.