जयपुर. ग्रेटर नगर निगम निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की हाईकोर्ट में लगी याचिका खारिज होने और कोर्ट के फैसले प्रदेश भाजपा के प्रमुख नेता चर्चा कर अगला कानूनी कदम क्या हो सकता है उस बारे में निर्णय करेंगे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के अनुसार हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए या नहीं इस बारे में पार्टी की लीगल सेल से चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय होगा.
सतीश पूनिया, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने यह बात कही उन्होंने यह भी कहा कि अभी उन्हें हाईकोर्ट के निर्णय के बारे में जानकारी मिली है लेकिन किस प्रकार का निर्णय आया है पहले उसका अध्ययन किया जाएगा. पुनिया के अनुसार ऐसे भी न्यायालय के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं बनती और हम लोग न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं.
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पूनिया ने कहा लेकिन जो निर्णय आया है उसमें अगला कानूनी रास्ता क्या बनता है इस बारे में जल्द ही पार्टी के प्रमुख लोगों की राय ली जाएगी और उसके बाद तय किया जाएगा कि आगे क्या किया जाना है. अगले कोर्ट में अपील को लेकर बीजेपी लीगल सेल से सलाल ली जाएगी और उसके हिसाब से ही फिर इस मामले में आगे बढ़ा जाएगा.
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गौरतलब है कि निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की हाईकोर्ट में लगी याचिका पर कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए याचिका को खारिज कर जुडिशल जांच 6 माह में पूरी करने के आदेश दिए हैं। मतलब इस दौरान जयपुर नगर निगम ग्रेटर में कार्यवाहक महापौर पद पर शील धाबाई ही काम करती रहेगी.
यह है मामला
गौरतलब है कि निगम कार्यालय में 4 जून को सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र शहर में सफाई करने वाली कंपनी के बकाया भुगतान के संबंध में चर्चा कर रहे थे. यज्ञमित्र का आरोप है कि उन्हें कोरोना नियंत्रण की बैठक के लिए कलेक्टर ऑफिस जाना था, लेकिन सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में पारस जैन सहित अन्य पार्षदों ने उन्हें बैठक में जाने से रोका और मारपीट भी की.
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आयुक्त यज्ञमित्र की ओर से मामले में राज्य सरकार को शिकायत भेजते हुए ज्योति नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई. वहीं, राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच क्षेत्रीय निदेशक स्तर के आरएएस अधिकारी को सौंपी. जिसने अपने जांच के बाद सौम्या गुर्जर और पार्षदों को दोषी माना. जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 6 जून को इन्हें महापौर और पार्षद पद से निलंबित करते हुए प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे. राज्य सरकार के इस निर्णय को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर आज फैसला सुनाया गया है.