जयपुर.राजधानी के बनीपार्क थाना इलाके में मंगलवार को गोली मारकर और पत्थर से सिर कुचलकर सदर थाने के हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की हत्या कर दी गई थी. हत्या के पीछे का मुख्य कारण वर्चस्व की लड़ाई और जयपुर का डॉन बनने की ख्वाहिश हो सकती है.
दरअसल हिस्ट्रीशीटर अजय यादव ने वर्ष 2018 में अपराध की दुनिया में अपनी सक्रियता को बिल्कुल खत्म कर दिया था. वह प्रॉपर्टी व राजनीतिक पार्टी के विभिन्न तरह के काम करने में व्यस्त हो गया था. वर्ष 2018 से पहले राजधानी जयपुर में हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की गैंग का काफी बोलबाला था और राजधानी की दूसरी गैंग के बदमाश यादव गैंग से पंगा न लेने में ही अपनी भलाई समझते थे.
हालांकि जैसे-जैसे यादव गैंग ने राजधानी जयपुर में आतंक फैलाना शुरू किया वैसे ही जयपुर पुलिस ने गैंग पर शिकंजा कसते हुए अजय यादव सहित गैंग के अन्य सदस्यों को जेल में बंद कर दिया. जेल में बंद होने के दौरान भी यादव गैंग ने जेल में बंद दूसरी गैंग के बदमाशों से लड़ाई जारी रखी. इसके परिणाम स्वरूप गैंग के सदस्यों को जेल प्रशासन ने एक ही जगह न रखने का फैसला करते हुए प्रदेश की अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर कर दिया.
वादा भूलने का खामियाजा
जेल से बाहर आने से पहले अजय यादव ने अपनी गैंग के अन्य सदस्य संजय शर्मा, हिमांशु जांगिड़, संदीप, सीताराम मीणा और विनोद से उन्हें जल्द ही जेल से बाहर निकालने का वादा किया. हालांकि जेल से बाहर आने के बाद हिस्ट्रीशीटर अजय यादव एक सफेदपोश व्यक्ति के रूप में काम करने लगा और अपनी गैंग के जेल में बंद सदस्यों से किए गए वादे को भूल गया. इसके चलते अपनी ही गैंग के सदस्य अजय यादव के विरोधी हो गए और उसे सबक सिखाने की प्लानिंग जेल में ही करने लगे.
बदमाश मनीष ने किया अजय के राइट हैंड पर जानलेवा हमला
हिस्ट्रीशीटर अजय यादव की गैंग का सबसे बड़ी दुश्मन मनीष सैनी गैंग रही है. दोनों गैंग में काफी लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. जिसके चलते राजधानी में दोनों गैंग के बीच में अनेक गैंगवार भी हो चुकी हैं. मनीष सैनी गैंग के पर कतरते हुए जयपुर पुलिस ने मनीष सैनी सहित उसके गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.