जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर की वजह से एक बार फिर कर्फ्यू और अब लॉकडाउन लगने जा रहा है. पहले रेड अलर्ट जन पखवाड़ा और अब सख्त लॉकडाउन के कारण उपजी समस्या से जरूरतमंदों को बचाने के लिए शहर के समाजसेवी मदद करने आगे बढ़े हैं. घर-घर, झोंपड़ी-झोंपड़ी अनाज और भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं. कई समाजसेवी संगठन ऐसे हैं जो जन पखवाड़े के दिन से ही लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं. ईटीवी भारत ने बात की कुछ ऐसे ही समाजसेवियों से जिन्होंने महामारी के इस दौर में इंसानियत को जिंदा बचाए रखा.
यह दंपत्ती पहुंचा रहा है झुग्गी झोपड़ियों में खाना
गिरिराज प्रसाद मेहरा पेशे से एडवोकेट हैं. वो अपनी पत्नी मंजू मेहरा के साथ मिलकर पिछले एक साल से कोरोना में लोगों को खाना खिला रहे हैं. यह दंपत्ती जरूरतमंदों तक भोजन के पैकेट पहुंचा रहे हैं. अगर किसी को कच्चे राशन की जरूरत है तो उसको कच्चा राशन भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. गिरिराज मेहरा बताते हैं कि पिछली बार कोरोना संकट के वक्त जब लॉकडाउन लगा था तो उन्होंने कई कच्ची बस्तियों, झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वालों को भोजन उपलब्ध कराया था.
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लेकिन जब कोरोना से हालात फिर से बिगड़ रहे हैं तो वो जरूरतमंदों की मदद के लिए फिर से आगे आ गए हैं. सुबह-शाम भोजन के पैकेट्स गरीब लोगों और जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं. बीमार लोगों को दवाइयां और कपड़े भी दिए जा रहे हैं. उनकी पत्नी मंजू भी उनके इस नेक काम में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है.
सामाजिक संगठन आये आगे
पीयूसीएल संगठन की ओर से भी लोगों की कोरोना काल में मदद की जा रही है. पीयूसीएल हर दिन अलग-अलग जगह से भोजन के पैकेट्स एकत्रित कर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचा रहे हैं. कच्ची बस्तियों, मजदूर वर्ग, फुटपाथ पर सोने वाले लोगों को भोजन, कपड़े और दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं. वहीं निश्चय संस्था के 5 युवाओं की टीम भी दिन-रात जरूरतमंदों की सेवा में लगी हुई है. यह संस्था कोरोना पॉजिटिव लोगों तक खाना पहुंचा रही है. इस महामारी में कोई पीड़ित परिवार भूखा ना सोये, इसलिए 5 लोगों की टीम लगातार भोजन के पैकेट्स लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
निश्चय संस्था के संस्थापक सदस्य अमन अग्रवाल ने बताया कि 5 युवाओं ने मिलकर एक निश्चय संस्था बनाई. उनकी टीम रोजाना 200 लोगों को खाना उपलब्ध करा रही है. जो कोरोना से संक्रमित हैं और घरों में होम क्वॉरेंटाइन हैं. कई लोग और फैमिली जो कोरोना पॉजिटिव हैं और खाने की दिक्कत से जूझ रहे हैं वो फोन करके खाने के लिए कहते हैं. जिसके बाद टीम की तरफ से उनतक खाना पहुंचाया जाता है.
बेजुबान पक्षियों का सहारा बनी ये संस्था
हरिओम जन सेवा समिति की ओर से कोरोना काल में बेजुबान पशु-पक्षियों को खाना खिलाया जा रहा है. समिति के प्रदेश महासचिव पंकज गोयल ने बताया कि समिति की ओर पिछले लॉकडाउन के वक्त करीब 25 लाख लोगों तक भोजन पहुंचाया गया था. एक बार फिर इसी तरह के हालात बने हैं तो फिर से जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके साथ पिछले साल की भांति इस बार भी बेजुबान पक्षियों, पशुओं के लिए भी अनाज और चारे के साथ पानी की व्यवस्था की जा रही है.
इस तरह की तस्वीरें कोरोना के इस भयानक काल में हमारा इंसानियत पर विश्वास को और मजबूत करती हैं. जहां लोगों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करके संक्रमण की चेन तोड़ने और महामारी को रोकने में मदद करनी चाहिए तो वहीं लोगों को जरूरतमंदों की मदद के लिए भी आगे आना चाहिए. जिससे की लोग रोटी, कपड़ों और दवाइयां के अभाव में दम ना तोड़ दें. इस विकट समय में इंसान को सारे भेदभाव भुलाकर इंसानियत के नाते सभी की सेवा करने की जरूरत है.