राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Special : सोशल मीडिया पर एक्टिव राजनेता, फॉलोअर्स भी हैं जनाधार का एक पैमाना

राजस्थान की सत्ता में कांग्रेस है और विपक्ष में भाजपा, वहीं तीसरी शक्ति के रूप में आरएलपी ने भी अपना दमखम दिखाया है. प्रदेश में इन तीनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के मुखिया और अन्य प्रमुख नेता सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. ट्विटर पर इन नेताओं की फैन फॉलोइंग को इनके सियासी जनाधार के रूप में भी देखा जाता है. हालांकि, कुछ नेता ऐसे भी हैं जो राजनीति में अपना जनाधार तो रखते हैं, लेकिन सोशल मीडिया (Social Media) के इस्तेमाल में फिसड्डी हैं. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

mass base of leaders in rajasthan
सोशल मीडिया पर एक्टिव राजनेता

By

Published : Mar 23, 2021, 6:51 AM IST

जयपुर. अपनी बात लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचाने का सबसे सरल और सहज माध्यम है 'सोशल मीडिया'. आम ही नहीं, बल्कि खास यानी हर तरह के लोग इस माध्यम का बखूबी इस्तेमाल करते हैं. राजनीतिक पार्टियों में तो बकायदा इसके लिए अलग से सोशल मीडिया विंग तक बनी हुई है. खुद प्रधानमंत्री से लेकर तमाम केंद्रीय नेता सोशल मीडिया के जरिए ही अपने मन की बात भी रखते हैं. राजस्थान बीजेपी में तो आईटी विभाग और सोशल मीडिया विभाग सभी संगठनात्मक जिलों में मुस्तैदी से काम कर रहा है.

फॉलोअर्स भी हैं जनाधार का एक पैमाना...

ऑफिशियल रूप से फेसबुक और टि्वटर (Facebook and Twitter) पर पार्टी की पोस्ट भी लगातार जारी की जाती है. राजनेता कोई बात मीडिया पर कहे या ना कहे अपने ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट के जरिए जरूर कह देते हैं. हालांकि, यह बात और है कि बड़े राजनेता अपने सोशल मीडिया अकाउंट को स्वयं हैंडल कम ही करते हैं, बल्कि इसके लिए अलग से स्टाफ लगा रखा है.

सीएम गहलोत के फेसबुक पर फॉलोअर्स...

पढ़ें :उपचुनाव का रण : RLP ने लगाए विधानसभावार प्रभारी और सह प्रभारी

वहीं, कई राजनेता ऐसे हैं जिनके सोशल मीडिया हैंडल को या तो उनके परिवारजन या निजी सहायक उनकी देखरेख में ही हैंडल करते हैं. राजस्थान भाजपा और कांग्रेस में ऐसे कई राजनेता हैं और जो इसे स्वीकार भी करते हैं. वहीं, वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी का कहना है कि आज सोशल मीडिया का जमाना है. भले ही थोड़ा-बहुत ही आपको जानकारी हो, लेकिन अन्य की मदद लेकर शुरुआत तो करनी चाहिए.

राजस्थान के प्रमुख नेताओं के Twitter पर फैन फॉलोइंग...

सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग दिखाती सियासी ताकत...

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस विपक्षी दल भाजपा दो प्रमुख राजनीतिक दल है. वहीं, तीसरी शक्ति के रूप में आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को देखा जाता है. इन तीनों की राजनीतिक दल के मुखिया भी सोशल मीडिया और ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं. कोई साल 2010 से तो उसके बाद के सालों में ट्विटर से जुड़े, लेकिन उनके फैन फॉलोइंग में इजाफा उनकी लोकप्रियता का भी एक पैमाना माना जा सकता है. फैन फॉलोइंग की दृष्टि से देखा जाए तो....

  • कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ट्विटर पर दिसंबर 2015 में आए और वर्तमान में उनके 709k यानी 7 लाख 9 हजार फॉलोअर्स हैं.
  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ट्विटर पर दिसंबर 2013 में आए और वर्तमान में उनके 195 के यानी 1 लाख 95 हजार फॉलोअर्स हैं.
  • आरएलपी संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ट्विटर पर नवंबर 2010 में आए, वर्तमान में उनके 486K यानी 4 लाख 86 हजार फॉलोअर्स हैं.
    सतीश पूनिया के फेसबुक फॉलोअर्स...

खास बात यह भी है कि तीनों ही राजनीतिक दलों के राजस्थान में कर्ता-धर्ता एक ही समाज मतलब जाट समाज से आते हैं, लेकिन ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की बात की जाए तो इसमें पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल से काफी आगे हैं, जबकि ट्विटर पर डोटासरा इन दोनों ही राजनेताओं के बाद एक्टिव हुए थे.

सचिन पायलट के फेसबुक फॉलोअर्स...

डोटासरा फॉलोवर्स की संख्या को उनकी सियासी ताकत के रूप में देखे जाने के सवाल पर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन यह जरूर कहते हैं कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया अपनी बात जन-जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम है और वे इसका बखूबी इस्तेमाल करते हैं. इन राजनीतिक दलों के वर्तमान के प्रदेश के मुखिया ही नहीं बल्कि पार्टी से जुड़े अन्य बड़े नेता भी सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. बात की जाए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य नेताओं की तो ये सभी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं.

वसुंधरा राजे के फेसबुक फॉलोअर्स...

हालांकि, ट्विटर पर वसुंधरा राजे के फॉलोअर्स 4.3M हैं, जो वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के टि्वटर फॉलोअर्स 2.4M की तुलना में अधिक हैं. सोशल मीडिया के फायदे भी हैं तो उसके साथ कुछ नुकसान भी है, क्योंकि सोशल मीडिया पर डाली गई एक गलत पोस्ट आपकी फजीहत भी कर सकती है. इसलिए जरूरी है कि सोशल मीडिया अकाउंट को हैंडल स्वयं ही करें, क्योंकि स्टाफ या अन्य के जरिए सोशल मीडिया अकाउंट हैंडल करने के दौरान कोई बड़ी चूक आपकी समाज और राजनीतिक मान प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details