जयपुर. हाल ही में नक्सलवाद पर लिखी अपनी किताब लाल सलाम पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani in Jaipur Literature Festival) भी रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि आगामी 5 सालों में देश पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त होगा. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर देश में नक्सलवाद को पनपने देने का आरोप लगाया. यह भी कहा कि अब नक्सलवाद का गढ़ कहे जाने वाले राज्य के महज 40 जिलों में ही नक्सली बचे हैं.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मॉडरेटर प्रज्ञा तिवारी और श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 2006, 2009 में जब उनकी सरकार केंद्र में नहीं थी उस वक्त एक रिसर्च में सामने आया था कि तब नक्सलवादियों की जरूरतों को पूरा करते हुए जो व्यवसायीकरण किया गया उसके 316 नेशनल प्रोजेक्ट हिट रहे थे. ये उनकी रिसर्च नहीं, पिछली सरकार की रिसर्च है. इसे लेकर 200 बिलियन खर्च की जो बात की गई वो पिछली सरकार के डॉक्यूमेंटेशन में हैं.
हालात हो गए थे बदतर
उस दौर में हालात बद से बदतर थे. नक्सलियों की ओर से एक टैक्सेशन सिस्टम पर काम किया गया, औरतों का नक्सल कैम्पस में रेप किया जा रहा था, लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई. बच्चों की तस्करी हो रही थी, लेकिन तब ये हेडलाइन नहीं बनी. पैरामिलिट्री फोर्स के जवान शहीद हुए लेकिन खामोशी छायी रही. एक डिबेट में एक पर्सन ने 72 सीआरपीएफ जवानों की शहीदी पर ये तक कहा था कि 'वर्दी पहनी है तो इनको पता होना चाहिए कि इनकी मौत होगी, तो इस पर इतना दुखी होने की क्या बात है'. उस वक्त लगा कि जो जवान शहीद हुए हैं उनका कोई घरवाला यदि ये डिबेट देख रहा होगा तो उन्हें कितना बुरा लग रहा होगा जबकि हर फौजी को पूरी रेस्पेक्ट मिलनी चाहिए.
किताब में है नक्सल वॉयलंस का सच
यही वजह है कि उन्होंने अपनी किताब में नक्सल वॉयलंस की धज्जियां उड़ाई हैं. इस दौरान उन्होंने जेंडर थिंकिंग को लेकर कहा कि एक मेल हमेशा मेल के लिए लिखता है और एक फिमेल हमेशा फिमेल के लिए. ये जेंडर रिलेटेड सोच उनकी समझ के परे है. उन्होंने कहा कि स्क्रीन पर ज्यादातर पुलिस, पैरामिल्ट्री ऑफिसर को क्रिमिनल या तमाशे की तरह ही दिखाया जाता है लेकिन अपनी किताब में असली हकीकत बताई है कि किस तरह से वह इन्वेस्टिगेट करते हैं, किस तरह उन्हें लीगल चैलेंजेज झेलने पड़ते हैं.