जयपुर. शहर को स्मार्ट बनाने की कड़ी में अब पार्किंग, सीवरेज और लाइट को भी स्मार्ट बनाया जा रहा है. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर को आईटी के आधार पर स्मार्ट बनाने की कवायद की जा रही है. जिस पर तकरीबन 4 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
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बीते दिनों केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020 की घोषणा की. जिसमें राजस्थान के एक भी शहर को अवार्ड नहीं मिला. लेकिन अब राजधानी में इनोवेटिव आइडिया और शहरी गतिशीलता के अवार्ड को जीतने के नजरिए से विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. तकनीक का सहारा लेकर स्ट्रीट पार्किंग से लेकर सीवरेज मैनहोल और लाइट्स तक को स्मार्ट बनाने की कवायद की जा रही है.
जयपुर शहर में 1000 ऑन स्ट्रीट पार्किंग, 1500 स्मार्ट लाइट, 2000 सीवरेज मैनहोल, 9 बाजार और 6 जंक्शन पर वाईफाई एक्सेस लगाने का काम किया जाएगा. स्मार्ट सिटी सीईओ अवधेश मीणा ने बताया कि स्मार्ट सीवरेज के तहत मैनहोल में स्मार्ट सेंसर लगाए जाएंगे. जैसे ही मैनहोल अपनी कैपेसिटी के 70% तक भरेगा तो सेंसर अलर्ट करेंगे. अलर्ट पर निगम की टीम पहुंचकर मैनहोल की क्लीनिंग कर देगी.
इसके अलावा स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट के तहत स्ट्रीट पार्किंग पर सेंसर लगाए जा रहे हैं. जिसे एक एप्लीकेशन से जोड़ा जा रहा है. इसकी शुरुआत 4 पार्किंग एरिया से की जा रही है. इस एप्लीकेशन के जरिए पहले ही पार्किंग का स्टेटस देख बुकिंग की जा सकेगी. स्मार्ट लाइट सेंसर बेस्ड होंगी. लाइट का ऑन/ऑफ सिस्टम भी सेंसर बेस्ड होगा. इसके अलावा शहर के सभी प्रमुख बाजारों में वाईफाई एक्सेस दिया जा रहा है. जिसका शहरवासी कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
जयपुर को स्मार्ट बनाने की तैयारी स्मार्ट सिटी एक्सईएन अजय सिंधु के अनुसार अगस्त में इन सभी प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया जाएगा. इन प्रोजेक्ट की लागत 3.90 करोड़ है. जिसमें स्मार्ट सीवरेज सिस्टम, ऑन स्ट्रीट पार्किंग और स्मार्ट लाइटिंग का 5 साल का ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी शामिल है. जहां तक 15 बाजार और जंक्शन को वाईफाई युक्त करने की बात है, उनमें किशनपोल बाजार और चांदपोल बाजार को वाईफाई और सीसीटीवी कैमरा युक्त किया जा चुका है. इसके अलावा अन्य बाजारों में भी स्मार्ट सिस्टम डवलप किया जाएगा.
इसके साथ ही शहर भर में सुगम यातायात और अपराध पर नकेल कसने के लिए 1150 कैमरा, पर्यावरण की जानकारी के लिए एनवायरमेंट सेंसर, डाटा सेंटर, स्मार्ट कम्युनिकेशन जैसे प्रोजेक्ट भी आईटी से जुड़े होंगे. सभी प्रोजेक्ट को 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.